अस्थाई रपटा बनाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कैलहट स्थित कलकि
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कैलहट स्थित कलकलिया नदी के पास बने अस्थाई रपटे को शीघ्र ठीक कराने की मांग के लेकर प्रदर्शन किया गया। पदाधिकारियों ने कहा कि जल्द से जल्द कैलहट से नरायनपुर चुनार मार्ग को चालू किया जाए, नहीं तो कांग्रेसजन विशाल प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने मार्ग चौड़ीकरण के दौरान सड़क पर विकल्प के रूप बनाए जा रहे रास्तों को गुणवत्तापूर्ण बनाने की मांग की ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृति न हो और आवागमन में दिक्कत न हो।
वाराणसी के टेंगरा मोड़ से हनुमना बार्डर तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या सात पर आवागमन चौथे दिन मंगलवार को भी सुचारू नहीं हो सका। बता दें कि इलाके में हुई भारी बारिश के बाद शनिवार की रात कैलहट के पास हाईवे पर डीबीएल कंपनी द्वारा बनाया गया अस्थाई रपटा बह जाने से हाईवे पर आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। मंगलवार को पूरा दिन डीबीएल द्वारा अस्थाई मार्ग को पुन: चालू कराने की कवायद की जा रही थी, लेकिन मौका देख ऐसा लग रहा था कि इसे चालू करने में अभी कम से कम एक दिन का समय और लग सकता है। कलकलिया नदी में बारिश के पानी के उफान के चलते अस्थाई रपटा बह जाने से इस मार्ग से आने-जाने वाले सभी बड़े वाहनों को वाया अहरौरा-अदलहाट-नरायनपुर के रास्ते आवागमन करना पड़ रहा है। इस संबंध में कंपनी के लाइजनिग अफसर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि काम कराया जा रहा है। बुधवार की दोपहर तक अस्थाई रपटा तैयार कराकर आवागमन सुचारू करा दिया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में कांग्रेस जिलाध्यक्ष शिव कुमार सिंह पटेल, कैलाश नाथ उपाध्याय, गुलाब चंद्र पांडेय, विनय कुमार सिंह, तुलसीदास गुप्ता, पंकज पटेल, रामाश्रय भारती, मोनू पटेल, दीनानाथ सिंह, दशरथ मौर्या आदि थे।
------------------ कैलहट साधन सहकारी समिति पर कांग्रेस का प्रदर्शन
चुनार : कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कैलहट स्थित साधन सहकारी समिति पर विरोध प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष शिव कुमार सिंह पटेल के नेतृत्व में पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए गेहूं क्रय केंद्र खोलने की मांग की। जिलाध्यक्ष ने कहा कि यहां गेहूं की खरीदारी 15 दिनों से बंद है, जबिक प्रदेश सरकार ने 22 जून तक गेहूं खरीदारी करने का वादा किया था। क्रय केंद्र बंद होने से किसान कम दामों में अपने अनाज को बेचने पर मजबूर हैं।