Young Achievers: देश की सीमा लांधने को बेताब हैं मेरठ के मुक्केबाज इश्मीत सिंह, गोल्‍ड जीतना लक्ष्‍य

मेरठ के शस्त्रीनगर निवासी इश्मीत सिंह 75 किलो भार वर्ग के बाक्सर हैं। वर्ष 2016 में 27 से 31 जनवरी तक आयोजित सब-जूनियर डिस्ट्रिकट टूर्नामेंट में इश्मीत ने पहली बार हिस्सा लिया। दमदार प्रदर्शन के साथ ही स्वर्ण पदक जीता और मुक्केबाजी की दुनिया में आगाज किया।

By Prem BhattEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 10:02 AM (IST)
Young Achievers: देश की सीमा लांधने को बेताब हैं मेरठ के मुक्केबाज इश्मीत सिंह, गोल्‍ड जीतना लक्ष्‍य
मेरठ के मुक्केबाज इश्मीत सिंह अब देश के लिए विदेशी धरती पर सोना जीतने को बेताब हैं।

मेरठ, [अमित तिवारी] । Young Achievers मुक्केबाजी की जूनियर प्रतियोगिता से लेकर सीनियर प्रतियोगिता तक हर बार स्वर्णिम मुक्का जड़कर सोना जीतने वाले मेरठ के उभरते मुक्केबाज इश्मीत सिंह अब देश के लिए विदेशी धरती पर सोना जीतने को बेताब हैं। यह मौका उन्हें मिल भी चुका था लेकिन वीजा मिलने में हुई देरी से पूरी भारतीय टीम नहीं जा सकी। यह प्रतियोगिता इश्मीत का चयन जर्मनी में होने वाली ब्लैक फारेस्ट कप के लिए भारतीय टीम में हुआ था लेकिन वीजा की तिथि निकल जाने पर पूरी टीम ही नहीं जा पाई। इश्मीत ने इस प्रतियोगिता में भी पदक जीतकर लौटने की तैयारी की थी। प्रतियोगिताओं का दौर शुरू होने का इंतजार कर रहे इश्मीत अब विदेशी धरती पर स्वर्णिम मुक्का जड़ना चाहते हैं।

पहली प्रतियोगिता से ही सोने पर जड़ा मुक्का

शस्त्रीनगर निवासी इश्मीत सिंह 75 किलो भार वर्ग के बाक्सर हैं। वर्ष 2016 में 27 से 31 जनवरी तक आयोजित सब-जूनियर डिस्ट्रिकट टूर्नामेंट में इश्मीत ने पहली बार हिस्सा लिया। इसी प्रतियोगिता में इश्मीत ने अपने दमदार प्रदर्शन के साथ ही स्वर्ण पदक जीता और मुक्केबाजी की दुनिया में दमदार आगाज किया। इसके बाद 11 से 14 फरवरी मे मुजफ्फरनगर में हुई सब-जूनियर प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में भी इश्मीत का जोरदार मुकका चला और स्वर्ण पदक के साथ विजेता बने। उसी साल सीबीएसई की अंडर-17 नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने हरियाणा के रोहतक गए और स्वर्ण पदक लेकर ही मेरठ लौटे।

चल पड़ा स्वर्ण पदकों का सिलसिला

वर्ष 2017 11 से 17 अक्टूबर तक देहरादून में आयोजित स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया की अंडर-17 प्रतियोगिता में भी इश्मीत ने स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी दमदार छाप छोड़ी। इसके बाद सीबीएसई की अंडर-19 नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, एसजीएफआइ नेशनल अंडर-19 प्रतियोगिता नौ से 13 जनवरी भोपाल में हुई थी, इसमें भी इश्मीत ने स्वर्ण पदक जीतने का सिलसिला जारी रखा। इश्मीत सिंह ने स्कूल गेम्स के सब-जूनियर से सीनियर तक की सभी टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीते हैं। खेलो इंडिया के अंडर-17 और अंडर-21 की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है। भारत की श्रीलंका टूर के लिए नेशनल बाक्सिंग एकेडमी रोहतक में हुए कैंप में भी कांस्य पदक जीता है। प्रदेश सतर की भी सब-जूनियर से यूथ तक की सभी अंडर-19 प्रतियोगिताएं इश्मीत ने जीती हैं। 15 जनवरी 2018 से रोहतक में आयोजित 48वें यूथ नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में इश्मीत ने रजत पदक जीता था।

डीयू पहुंचकर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भी स्वर्ण

इश्मीत सिंह वर्तमान में दिल्ली विवि के नार्थ कैंपस स्थित किरोड़ीमल कालेज से पालिटिकल आनर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। इस साल इश्मीत का द्वितीय वर्ष है और 12 दिसंबर से दूसरे साल की परीक्षा भी शुरू होगी। स्नातक के पहले ही साल में इश्मीत ने अपने कालेज की ओर से इंटर कालेज बाक्सिंग चैंपियनिशप में हिस्सा लिया था। यह प्रतियोगिता 18 से 20 नवंबर 2019 में जिसमें इश्मीत ने स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद प्रथम वर्ष में ही बागपत में आयोजित आल इंडिया यूनिवर्सिटी बाक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और किरोड़ीमल कालेज की ओर से स्वर्ण पदक जीता। यह प्रतियोगिता 27 दिसंबर 2019 से दो जनवरी 2020 के दौरान हुई थी। लाकडाउन के पूर्व यह आखिरी प्रतियोगिता थी जिसमें इश्मीत का गोल्डन मुक्का चला था।

पिता के साथ बढ़ाया हौसला किया प्रेरित

इश्मीत सिंह के लिए मुक्केबाजी जुनून है तो उनके पिता गुरविंदर सिंह उस जुनून को जीने के लिए जरूरी आक्सीजन हैं। इश्मीत में एक बेहतरीन बाक्सर गुरविंदर को छोटी उम्र में ही दिख गया था। बेटे का रुझान देखते हुए उन्होंने प्रेरित ही नहीं किया बल्िक हमराह भी बन गए। इश्मीत ने मेरठ के कैलाश प्रकाश स्पाट्र्स स्टेडियम में प्रशिक्षण लिया है। इसके अलावा गुरविंदर सिंह ने घर में इश्मीत की ट्रेनिंग के लिए हर तरह के उपकरण वाला जिमनेजियम बनाया जिससे इश्मीत रात को भी तीन से चार घंटे ट्रेनिंग करते रहे। लाकडाउन के दौरान भी इश्मीत ने सुबह-शाम की ट्रेनिंग पिता के साथ जारी रखा। गुरविंदर सिंह ने इश्मीत की ट्रेनिंग में पिता, कोच, सहायक सहित तमाम किरदार अदा किए लेकिन ट्रेनिंग जारी रखा।

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