Yoga In Corona: इस प्राणायाम से आपके फेफड़ों को मिलेगी भरपूर आक्सीजन, जानें-क्या कहते हैं मेरठ के योग शिक्षक
योग विज्ञान संस्थान के योग शिक्षक सुनील सैन ने बताया कि इसके लिए सरल पूरक रेचक प्राणायाम उपयोगी सिद्ध हो सकता है। हमारे शरीर में फेफड़ों में मधुमक्खी के छत्ते की तरह छोटी-छोटी संरचना होती हैं जो आपस में एक पतली परत (जिसमें रक्त रहता है) से जुड़े रहते हैं।
मेरठ, जेएनएन। Yoga In Corona कोरोना काल में फेफड़ों को आक्सीजन से परिपूर्ण रखने के लिए आवश्यक है कि फेफड़ों के ऊपरी चैंबर के साथ निचले चैंबर को भी अधिक से अधिक कार्बन डाइ आक्साइड से मुक्त रखा जाए, जिससे सामान्य सांस की तुलना में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में आक्सीजन को अवशोषण करने के लिए फेफड़ों में सामान्य से अधिक स्थान उपलब्ध हो सके। यह कहना है योग विज्ञान संस्थान के योग शिक्षक सुनील सैन का। उन्होंने बताया कि इसके लिए सरल पूरक रेचक प्राणायाम उपयोगी सिद्ध हो सकता है। हमारे शरीर में फेफड़ों में मधुमक्खी के छत्ते की तरह छोटी-छोटी संरचना होती हैं, जो आपस में एक पतली परत (जिसमें रक्त रहता है) से जुड़े रहते हैं। पूरक रेचक प्राणायाम से शरीर में आठ गुना अधिक मात्रा में आक्सीजन फेफड़ों की सबसे सूक्ष्म संरचना तक पहुंचता है। यहां मौजूद रक्त के द्वारा उस आक्सीजन को अवशोषित करके रक्तवाहिनी से होते हुए शरीर की एक-एक कोशिका तक आक्सीजन पहुंचता है।
ऐसे करे पूरक रेचक प्राणायाम
सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में रीढ़ को सीधा करके हृदय मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें कोमलता से बंद कर खुले स्थान में बैठें। दोनों नासिकाओं द्वारा सांस भरते जाएं और तब तक भरें जब तक अंदर से यह संकेत न मिल जाए कि अब अंदर सांस भरना संभव नहीं है। फिर पूरी सांस भरने के बाद सांस को तुरंत ही बाहर निकालते जाएं। तब तक सांस निकालें जब और सांस बाहर निकालना असंभव हो। ध्यान रहे इस प्रक्रिया को स्वभाविक ढंग से करें और कोई कुंभक (सांस अंदर रोकना) या बंध नहीं लगाने हैं। अब लगातार इस अभ्यास को दस मिनट करके सांस सामान्य तक शांत मुद्रा में बैठ जाएं।
सरल पूरक रेचक प्राणायाम के फायदे-
- देर तक धीमी गति से पूरक (सांस अंदर भरना) करने से सामान्य श्वसन की अपेक्षा आठ गुना अधिक मात्रा में वायु फेफड़ों तक पहुंचती है।
- देर तक रेचक (सांस बाहर निकालना) करने से फेफड़े के दोनों चैंबर में कार्बन डाइ आक्साइड लगभग 70 फीसद बाहर हो जाती है। इससे फेफड़ों की आक्सीजन को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ती है।
- हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करता है।
- शरीर के विभिन्न हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन पहुंचती है।
- फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है और आक्सीजन का उच्चतम स्तर शरीर में बना रहता है।