जल्द खुलेंगे यूपी बोर्ड के स्कूल व कालेज? 70 फीसद अभिभावकों ने जताई सहमति
यूपी बोर्ड ने स्कूल व कालेजों को खोलने को लेकर अभिभावकों से सुझाव मांगे थे। जिस पर मेरठ मंडल में 70 फीसद लोगों ने स्कूल खोलने को लेकर सहमति जताई है। वहींं 30 फीसद लोगों ने स्कूलों को अभी नहीं खोलने को लेकर सहमति दी है।
मेरठ, जेएनएन। माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश (यूपी बोर्ड) ने कोरोना के बदलते माहौल के मद्देनजर स्कूल खोलने को लेकर अभिभावकों की सहमति और सुझाव मांगे थे। 23 जून तक सुझाव देने थे। इसमें मेरठ मंडल के 69.75 फीसद अभिभावकों ने स्कूल खोलने पर सहमति दी है जबकि 30.25 फीसद स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं। मेरठ जिले में 61.07 फीसद, बागपत में 76.81 फीसद, गाजियाबाद में 66.01 फीसद, हापुड़ में 46.34 फीसद, गौतमबुद्धनगर में 61.58 फीसद और बुलंदशहर में सर्वाधिक 91.58 फीसद अभिभावकों ने स्कूल खोलने पर सहमति दी है।
नौवीं से 12वीं तक से ली गई सहमति : प्राथमिक चरण में नौवीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए ही स्कूल खोले जाएंगे, इसलिए संबंधित बच्चों के अभिभावकों से सहमति ली गई है।
मेरठ मंडल में यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में कुल 4,70,430 छात्र-छात्रएं पंजीकृत हैं। स्कूल खोलने को लेकर 2,21,048 अभिभावकों से संपर्क किया गया। इनमें से 1,54,187 अभिभावकों ने स्कूल खोलने की सहमति दी है। साथ ही यूपी बोर्ड ने ई-मेल जारी कर प्रदेश स्तर पर भी सभी अभिभावकों, स्कूल संचालकों व छात्रों से सहमति-सुझाव मांगे थे। यह पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद ही प्रदेश सरकार स्कूल खोलने की तिथि आदि के मसले पर पर निर्णय लेगी।
इतने अभिभावक हैं तैयार
जिला स्कूल संपर्क सहमति
मेरठ 403 59,012 36,043
बागपत 142 12,346 9,484
गाजियाबाद 226 41,744 27,556
हापुड़ 108 8,970 4,175
गौतमबुद्धनगर 151 45,655 28,115
बुलंदशहर 411 53,321 48,832
जिलों में कक्षावार छात्र संख्या
जिला नौ 10 11 12
मेरठ 23,149 44,758 12,545 42,590
बागपत 6,876 14,161 394 12,672
गाजियाबाद 21,483 22,068 --- 22,710
हापुड़ 5,940 6,723 3,812 8450
गौतमबुद्धनगर 14,611 20,730 --- 16,837
बुलंदशहर 46,818 47,112 36,862 39,129
नोट: यूपी बोर्ड स्कूल में प्रवेश व पंजीकरण अब तक नहीं हुए हैं। गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में 11वीं में प्रवेश न होने पर संख्या शून्य है। अन्य जिलों में भी प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, इसलिए छात्र संख्या पूर्व की तुलना में कम हैं।