अनदेखी हुई तो शहीद के पिता की भर आई आंखें

सिल्वर सिटी कालोनी निवासी लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी की शहादत के एक वर्ष बाद सेन

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 08:15 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 08:15 AM (IST)
अनदेखी हुई तो शहीद के पिता की भर आई आंखें
अनदेखी हुई तो शहीद के पिता की भर आई आंखें

मेरठ, जेएनएन। सिल्वर सिटी कालोनी निवासी लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी की शहादत के एक वर्ष बाद सेना ने उन्हें शहीद का दर्जा तो दे दिया है, मगर शहीद के स्वजन को मिलने वाली सुविधाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है। वहीं, एक वर्ष के भीतर एक भी प्रशासनिक अधिकारी शहीद के घर स्वजन का हाल जानने नहीं पहुंचा। इस अनदेखी को बयां करते हुए शहीद के पिता भी आंखें भर आती हैं।

मूल रूप से मुजफ्फरनगर के अलावलपुर माजरा गांव निवासी केपी सिंह बलरामपुर की चीनी मिल में प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। केपी सिंह पत्नी कमलेश, बेटी प्रियंका और बेटे आकाश चौधरी के साथ कंकरखेड़ा हाईवे स्थित सिल्वर सिटी कालोनी में रहने लगे। लेफ्टिनेंट आकाश की तैनाती असम के कोकराझार में थी। 17 जुलाई 2020 को ट्रेनिंग के दौरान पहाड़ी से आकाश का पैर फिसल गया था। गहरी खाई में गिरने से आकाश की मौत हो गई थी। 18 जुलाई को लेफ्टिनेंट का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया। तब सेना ने आकाश को शहीद का दर्जा नहीं दिया था। शहीद के स्वजन ने कलक्ट्रेट परिसर में धरना दिया था। प्रशासनिक अफसरों समेत सांसद और विधायक भी शहीद के घर पहुंचे थे और शहीद का दर्जा दिलाने का आश्वासन दिया था। पिता केपी सिंह ने सीएम कार्यालय, पीएमओ, रक्षा मंत्रालय समेत शहीद की यूनिट के अफसरों को पत्र लिखकर शहीद का दर्जा दिलाने की मांग की थी। अब एक वर्ष बाद बुधवार को लेफ्टिनेंट आकाश को शहीद का दर्जा दिए जाने की सूचना जिला सैनिक बोर्ड की ओर से स्वजन को दी गई। स्वजन का कहना है कि इस सूचना में शहीद के स्वजन को मिलने वाली सुविधाओं का कोई जिक्र नहीं है।

शहीद के नाम से हो एक सड़क और लगे प्रतिमा

केपी सिंह ने बताया कि उनकी मांग थी कि मेरठ की एक सड़क का नाम शहीद आकाश के नाम से होना चाहिए। साथ ही कैंट क्षेत्र में शहीद की प्रतिमा भी लगे, मगर अभी तक दोनों में से एक भी मांग पूरी नहीं हुई है।

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