Water Conservation: जल की बर्बादी रोकने के लिए उठाने पड़ेंगे ये कदम, तभी बनेगी बात

जल की बर्बादी रोकने की बात आती है तो सब मौन नजर आते हैं। शहरी क्षेत्रों में बढ़ता भूजल दोहन सबसे ज्यादा चिंताजनक है। भूजल दोहन कई तरह से हो रहा है। इन कदमों से जल की बर्बादी रोकी जा सकती है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 10:06 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 10:06 AM (IST)
Water Conservation: जल की बर्बादी रोकने के लिए उठाने पड़ेंगे ये कदम, तभी बनेगी बात
जल की बर्बादी रोकने के लिए ये करें काम।

मेरठ, जेएनएन। जल ही जीवन है। यह बात सब जानते हैं। लेकिन जल की बर्बादी रोकने की बात आती है तो सब मौन नजर आते हैं। शहरी क्षेत्रों में बढ़ता भूजल दोहन सबसे ज्यादा चिंताजनक है। भूजल दोहन कई तरह से हो रहा है। अगर इस पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई तो गंगा जमुना के दोआबा में बसे मेरठ में पानी के लाले पड़ेंगे।

ये कदम उठाने जरूरी

-डेयरी में सबमर्सिबल पम्प पर रोक हो। सबमर्सिबल चलते पाए जाने पर जुर्माने का प्रावधान हो।क्योंकि डेढ़ हजार से ज्यादा डेयरियां शहर में हैं। सभी मे अवैध रूप से भूजल दोहन हो रहा है।

-वाहनों की धुलाई सेंटर पंजिकृत हो। सीमित हो। अवैध सेंटर बन्द हों। क्योंकि शहर में 500 से ज्यादा वाहन धुलाई सेंटर हैं। जो अवैध रूप से भूजल दोहन कर रहे हैं।

-वाटर लीकेज को ठीक करने की कार्ययोजना बने। 15 फीसद पानी लास को 10 फीसद तक लाने का लक्ष्य रखा जाए। क्योंकि शहर में वर्षो पुरानी वाटर पाइप लाइने जर्जर हो चुकी हैं। वाटर लीकेज सुधारने की कोई योजना नहीं है।

-आरओ सिस्टम लगे घरो व सरकार-गैर सरकारी संस्थाओं, औधोगिक इकाइयों, प्रतिष्ठानों व दुकानों का चिन्हांकन हो। उनमें आरओ का वेस्ट वाटर उपयोग में लाना अनिवार्य किया जाए।

-पार्कों , ग्रीन बेल्ट में पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए एसटीपी का ट्रीटेड वाटर उपयोग में लाया जाए। क्योंकि अभी जो पानी पौधों की सिंचाई में खर्च हो रहा है। वह पेयजल है।

-सड़कों पर पानी के छिड़काव में एसटीपी के ट्रीटेड वाटर का उपयोग किया जाए। क्योंकि एसटीपी पर 50 एमएलडी के आसपास ट्रीटेड वाटर मौजूद है। इसका पुनः उपयोग कर भारी मात्रा में जल की बर्बादी रोकी जा सकती है।

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