विलुप्त हो चुके कुएं देंगे जल संरक्षण की सीख, बरसात के पानी को संरक्षित करने की योजना
। अब एक बार फिर गायब कुओं की तलाश शुरू की गई है। मेरठ में अभी तक 27 कुओं को तलाश किया गया है। जबकि मंडल में 115 कुओं को तलाश कर लिया गया है। कुओं का जीर्णोद्वार कर इन्हें जल संरक्षण के काबिल बनाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, मेरठ। गांव-देहात में कभी कुएं आमजन की प्यास बुझाने का सबसे सशक्त माध्यम थे। लेकिन समय बदला और कुएं धरातल से गायब होने शुरू हो गए। अब एक बार फिर गायब कुओं की तलाश शुरू की गई है। मेरठ में अभी तक 27 कुओं को तलाश किया गया है। जबकि मंडल में 115 कुओं को तलाश कर लिया गया है। कुओं का जीर्णोद्वार कर इन्हें जल संरक्षण के काबिल बनाया जाएगा।
भूगर्भ जल का स्तर बनाए रखने और बरसात के पानी को संरक्षित करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। तालाबों का सुंदरीकरण करने के साथ पहली बार बड़ी संख्या में गांव-देहात तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। ऐसे में विलुप्त हो चुके कुओं को संरक्षित कर जल संरक्षण के काबिल बनाने की पहल भी की गई है। मेरठ जनपद के साथ मंडल के जनपदों में भी विलुप्त हो चुके या गायब होने के कगार पर पहुंच चुके कुओं की तलाश शुरू की गई है। फिलहाल जनपद में 27 कुओं को तलाश कर लिया गया है। जबकि मंडल के जनपदों में 115 कुओं की तलाश की गई है। अभियान अभी जारी है और आने वाले दिनों में कुओं की संख्या में इजाफा होगा।
ऐसे होगा जल संरक्षण
कुओं को कब्जा मुक्त कराकर जीर्णोद्वार कराया जाएगा। इसके बाद साफ-सफाई कराकर बरसात के पानी को कुओं में संरक्षित किया जाएगा। साथ ही कुओं में बोर कर पानी को भूगर्भ तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की जाएगी। सभी कार्य ग्राम विकास निधि से कराए जाएंगे। हादसे से बचाव के लिए कुओं को ढका जाएगा।
तलाश किए गए कुएं
मेरठ मंडल में लगातार कुओं की तलाश के लिए अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक मेरठ में 27, गौमबुद्धनगर में 02, हापुड़ में 39 और बागपत में 47 कुओं की तलाश की जा सकी है। जबकि गाजियाबाद और बुलंदशहर में अभी कोई कुआं नहीं तलाशा जा सका है।
सीडीओ शशांक चौधरी ने कहा: बरसात के पानी को संरक्षित करने के लिए हर स्तर पर प्रयास जारी है। सूख चुके और विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके कुओं की तलाश कर इन्हें जल संरक्षण के लिए प्रयोग किया जाएगा।