विजय दिवस : पैदल चलकर राजपूताना राइफल्स ने जीता इस्लामगढ़

वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लोंगेवाला में हुए युद्ध में भारतीय शूरवीरों की वीरता हर जुबां पर है लेकिन उससे महज 30 किलोमीटर दूरी पर लड़ी गई एक और जंग में मिली शानदार जीत इतिहास में तो दर्ज है लेकिन कहानियों का हिस्सा नहीं बन सकी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 06:15 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 06:15 AM (IST)
विजय दिवस : पैदल चलकर राजपूताना राइफल्स ने जीता इस्लामगढ़
विजय दिवस : पैदल चलकर राजपूताना राइफल्स ने जीता इस्लामगढ़

अमित तिवारी, मेरठ । वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लोंगेवाला में हुए युद्ध में भारतीय शूरवीरों की वीरता हर जुबां पर है, लेकिन उससे महज 30 किलोमीटर दूरी पर लड़ी गई एक और जंग में मिली शानदार जीत इतिहास में तो दर्ज है, लेकिन कहानियों का हिस्सा नहीं बन सकी। पाकिस्तानी सीमा में 16 किमी भीतर स्थित दुश्मन के मजबूत किले इस्लामगढ़ को भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स ने 30 किमी पैदल चलकर फतह किया था।

दुश्मन का सबसे मजबूत किला था इस्लामगढ़

भारतीय सेना के विजय अभियानों में 'बैटल आफ इस्लामगढ़' को विशेष स्थान दिया गया है। इस्लामगढ़ पाकिस्तान के भावलपुर जिले में है। इसे आजादी के पूर्व 'लाइंस आफ कम्युनिकेशन' की हिफाजत के लिए बनाया गया था। इस किला को इसके उत्तर में स्थित रहीमयार खान में पाकिस्तानी सेना के बड़े अड्डे के लिए मजबूत सुरक्षा चौकी के तौर पर सुसज्जित किया गया था। ऊंचाई पर स्थित इस्लामगढ़ किले के चारों ओर माइनफील्ड बिठाई गई थी।

उसी रात लोंगेवाला और इस्लामगढ़ में हुआ युद्ध

किशनगढ़ से करीब 30 किमी स्थित इस्लामगढ़ की ओर राजपूताना राइफल्स तीसरी बटालियन ने चार दिसंबर की रात ही आगे बढ़ी थी। उसी रात लोंगेवाला पर भी हमला हुआ था। सेना की 12वीं डिवीजन के तहत शाम साढ़े पांच बजे बटालियन ने इस्लामगढ़ की ओर चलना शुरू किया था। दुश्मन के ताकत की कोई जानकारी नहीं थी। रेगिस्तान में चलते हुए पहले आर्टिलरी गनें धसने लगीं तो उन्हें पीछे ही छोड़ दिया गया। कुछ और आगे बढ़ने पर टैंक भी रुकते गए। चांदनी रात में कमान अधिकारी लेफ्टिनेंट एमएमके बकाया की अगुवाई में बटालियन भोर तीन बजे इस्लामगढ़ के निकट पहुंच गई। सेकेंड लेफ्टिनेंट अजीत कमल की टुकड़ी दूसरी ओर से वापस लौटी, लेकिन उनके पास दुश्मन की कोई सूचना नहीं थी। उप-कमान अधिकारी मेजर रामचंद्र ने आर्टिलरी से मदद मांगी, लेकिन रेंज से बाहर होने पर कोई मदद नहीं मिली। उसी दौरान 12वीं डिवीजन के एक हिस्से को लोंगेवाला की ओर भेज दिया गया। भारतीय सेना ने सुबह पांच बजे तक किले में पहुंचकर दुश्मन सैनिकों को मार गिराने के साथ ही ही किले को फतह कर लिया था।

अकेले आपरेशन में किया 12 हजार स्क्वायर किमी पर कब्जा

सारी राजपूताना राइफल्स के कमान अधिकारी रहे मेरठ के कर्नल नरेंद्र सिंह के अनुसार वर्ष 1971 के युद्ध में हर आपरेशन से अधिक इस्लामगढ़ विजय के साथ सेना ने पाकिस्तान के 12 हजार स्क्वायर किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था।

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