वाहन चलाने की ट्रेनिंग ही कमजोर, परिणाम दुर्घटना
सुरक्षित यातायात की पहली शर्त है सुरक्षित वाहन चलाना। सुरक्षित वाहन चलाने की पहली शर्त है वाहन चालक की सौ फीसद सटीक ट्रेनिंग। अब जरा सोचिए कितने वाहन चालकों ने सुरक्षित वाहन चालन की विधिवत ट्रेनिंग ली होगी।
मेरठ, जेएनएन। सुरक्षित यातायात की पहली शर्त है सुरक्षित वाहन चलाना। सुरक्षित वाहन चलाने की पहली शर्त है वाहन चालक की सौ फीसद सटीक ट्रेनिंग। अब जरा सोचिए, कितने वाहन चालकों ने सुरक्षित वाहन चालन की विधिवत ट्रेनिंग ली होगी। अब, क्योंकि ट्रेनिंग देने और उसकी निगहबानी के इंतजाम में ही दीमक लगा है तो परिणाम मिलता है आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के रूप में। बहरहाल, मेरठ में परिवहन विभाग ने 14 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को मान्यता दी है, हालाकि इन ट्रेनिंग स्कूलों के इतर भी कई स्कूल जगह-जगह आपको वाहन चलाने का प्रशिक्षण देते मिल जाएंगे। खास यह कि छोटे-छोटे कमरों में चल रहे यह स्कूल निर्धारित मानकों का बिल्कुल भी पालन नहीं करते। जिन वाहनों पर प्रशिक्षण दिया जाता है, वह पुराने होते हैं।
अजब हाल है ट्रेनिंग व्यवस्था का
दैनिक जागरण ने मंगल पाडेय नगर और रुड़की रोड पर चल रहे ट्रेनिंग स्कूल की पड़ताल की। मंगल पाडेय नगर का स्कूल तो तीसरी मंजिल पर है। इसी तरह रुड़की रोड का स्कूल एक छोटे कमरे में चलता मिला। मेरठ में 4.5 करोड़ रुपये की लागत से ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बन रहा है। इसका निर्माण वर्ष 2020 जनवरी में पूरा होना था, मगर यह अभी अधूरा है। कोई निर्धारित जगह नहीं होने पर ट्रेनिंग स्कूल वाले, शहर में खाली पड़े मैदानों, दिल्ली और गढ़ रोड जैसी व्यस्त सड़कों पर प्रशिक्षण देते नजर आते हैं। आलम यह कि कई कालोनियों के भीतर आपको ट्रेनिंग देते-लेते वाहन मिल जाएंगे। ये कालोनी में सड़क पर चल रहे आम लोगों के लिए काल के समान हैं। जरा सी चूक हुई और बड़ी दुर्घटना से कोई बचा नहीं सकता।
ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल के मानक
- स्कूल कम से कम 500 वर्ग मीटर में होना चाहिए।
- स्कूल का संचालक आइटीआइ आटो मैकेनिक में सíटफिकेट धारी हो।
- ट्रैफिक नियमों और चिन्हों की जानकारी देने का बोर्ड हो।
- इंजन और गियर बाक्स समेत मुख्य भागों की जानकारी देने के लिए व्यवस्था हो।
- नए मोटर व्हीकल एक्ट में सिमुटेलर, जिसमें आन रोड कार ड्राइव करने से एक मशीन पर क्लच, गियर और ब्रेक पर कंट्रोल सिखाया जाता है, होना चाहिए। हालाकि यह अभी अनिवार्य नहीं है। आरआइ राहुल शर्मा ने बताया कि मारुति के ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में यह व्यवस्था है।
- जिस वाहन से प्रशिक्षण दिए जाए, वह ब्रेक, गियर, क्लच की दोहरी प्रणाली से युक्त हो।
प्रशिक्षण की खानापूíत से रिकार्ड हादसे
सटीक ड्राइविंग प्रशिक्षण न होने से हर साल हजारों लोग असमय काल के गाल में समाते हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि गलत तरह से ड्राइविंग के चलते हर दिन औसतन 24 लोगों की मौत होती है। दूसरी ओर आरटीओ कार्यालय मेरठ में एक दिन में अधिकतम 250 स्थाई लाइसेंस बन सकते हैं। हालाकि आरआइ के चार पद में तीन रिक्त हैं, इससे एक दिन में 60 से 70 वाहनों के लाइसेंस निर्गत हो पाते हैं। ड्राइविंग टेस्ट संभागीय निरीक्षक द्वारा लिया जाता है। आरआइ राहुल शर्मा बताते हैं कि स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए आने वालों का बिना वाहन चलवाए लाइसेंस नहीं दिया जाता। साकेत के ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में सेंसर आदि लगाना है। रूटों का निर्धारण हो गया है। कार्यदाई संस्था से काम जल्द पूर्ण करने के लिए कहा है। इसमें आवेदक से वाहन चलवाया जाएगा। पूरी व्यवस्था कंप्यूटरीकृत होगी। इसका निर्माण हो जाने से ड्राइविंग ट्रेनिंग और टेस्टिंग दोनो में गुणात्मक सुधार आएगा।
- डा. राजेश कुमार, आरटीओ प्रवर्तन