वरीशा प्रकरण : जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था, वह तो जिंदा है

बुलंदशहर सूटकेश में शव प्रकरण पुलिस की लापरवाही से हुई पहचान कहीं साजिश तो नहीं। गुमशुदगी में लगाए गए फोटो को भी पुलिस ने पहचान का नहीं बनाया आधार।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 11:50 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 11:50 PM (IST)
वरीशा प्रकरण : जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था, वह तो जिंदा है
वरीशा प्रकरण : जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था, वह तो जिंदा है

बुलंदशहर, जेएनएन। जनपद गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में सूटकेश में जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था, वह तो जिंदा है, लेकिन शव की शिनाख्त में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। शिनाख्त में पुलिस की चूक जांच का विषय है। पुलिस ने शव की शिनाख्त में ससुराल पक्ष के लोगों को शामिल क्यों नहीं किया? गुमशुदगी दर्ज कराते समय जो फोटो पति ने थाने में दिए थे, उन्हें शव की पहचान का आधार क्यों नहीं बनाया? आखिर किस आधार पर विवेचक सीओ सिटी दीक्षा ङ्क्षसह ने केवल विवाहिता की मां पर भरोसा कर लिया? जबकि विवाहिता की ससुराल बुलंदशहर में है और आनन-फानन में पुलिस ने बिना जांच के पति, ससुर व सास को क्यों जेल भेज दिया? ये सवाल साजिश की ओर इशारा कर रहे हैैं। 

इस तरह आ रही साजिश की बू

वरीशा का मायका अलीगढ़ जनपद के थाना हरदुआगंज के जलील कस्बे में है, जबकि ससुराल बुलंदशहर शहर के इस्लामाबाद मोहल्ले में है। बेटी की तलाश में बुलंदशहर आई मां बूं्रदो ने शव की पहचान बेटी वरीशा के रूप में की थी। बता दें कि जब वरीशा को ससुराल पक्ष ने पीटा तो उसने फोन कर स्वजनों को बताया था। वरीशा के भाई ने साफ बोल दिया था कि वह मायके में नहीं आएगी। चाहे ससुराल वाले मार दें। यह बात एसएसपी संतोष कुमार ङ्क्षसह भी स्वीकार रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि ससुराल पक्ष को फंसाने के लिए उसकी मां व भाई ने गलत पहचान की हो?

वरीशा के अदालत में हुए बयान

वरीशा के मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में बयान हुए हैं। उसने बयानों में क्या कहा। अभी विवेचक सीओ सिटी ने अवलोकन नहीं किया है। बयानों का अवलोकन करने के बाद ही वरीशा को कहां भेजा जाएगा। यह निर्णय लिया जाएगा। यदि उसने बयानों में मायके या फिर ससुराल जाने की बात कही होगी तो वह वहीं जाएगी।

गलत पहचान का बनता है अपराध

यदि जानबूझकर गलत पहचान की गई है तो नियम है कि पहचान करने वालों के खिलाफ पुलिस को गुमराह करने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए, क्योंकि इस मामले में इस्लामाबाद निवासी पति आरिफ, ससुर मुस्लिम और सास जेल में हैैं।

इनका कहना है...

यदि जानबूझकर गलत पहचान की गई है तो जांच के बाद पहचान करने वालों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसकी अभी जांच चल रही है।

-संतोष कुमार सिंह, एसएसपी। 

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