कोरोना महामारी में बच्चों के आरोग्य के लिए वैद्य आयुर्वेद की इस विधि को बता रहे उत्तम
कोरोना की तीसरी लहर आने पर सबसे अधिक बच्चों पर खतरा जताया गया है। ऐसे में लोग अपने-अपने बच्चों की सेहत को लेकर और भी परेशान है। इसी वजह से चिकित्सक समाज भी बच्चों को इस संभावित खतरे से सुरक्षित बनाने के लिए अलग-अलग ढंग से जुटे हुए हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी की पहली लहर के बाद आई दूसरी लहर ने जिस तरह कहर बरपाया उस सदमे से अभी तक कई परिवार उबर नहीं पाएं हैं। साथ ही इसका समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। ऐसे में आने वाले परिस्थितियों व चुनौतियों को लेकर लोग स्वयं को हर स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए जुटे हैं।
प्रकाश में आई कुछ रिपोर्ट में तीसरी लहर आने पर सबसे अधिक बच्चों पर जताया गया है। ऐसे में लोग अपने-अपने बच्चों की सेहत को लेकर और भी परेशान है। इसी वजह से चिकित्सक समाज भी बच्चों को इस संभावित खतरे से सुरक्षित बनाने के लिए अलग-अलग ढंग से जुटे हुए हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले उपचार की पुरातन चिकित्सा पद्धति यानी आयुर्वेद से जुड़े वैद्य व आयुर्वेदाचार्य भी जुट गए हैं। जिसमें बच्चों की शक्ति को बढ़ाने व रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास करने वाली औषधि के रूप में स्वर्ण प्राशन विधि को वैद्य उत्तम मान रहे हैं।
इसको लेकर शहर के वैद्य अलोक शर्मा ने बताया कि हिंदू संस्कृति के अनुसार स्वर्णप्राशन सोलह संस्कार में एक है। जिसमें विशेष स्वर्ण से तैयार औषधि को बच्चों को दी जाती है। उन्होंने बताया कि इससे बच्चों की बुद्धि, पाचनशक्ति तथा बल भी बढ़ता है। इसके अलावा बच्चे के आयुष को बढ़ाने के साथ बुद्धि को विकसित करने में मदद करता है। अलोक शर्मा का कहना है स्वर्णप्राशन विधि को पूरा करने से बच्चों से कई तरह की बीमारियां दूर रहेगी।