यूरिया तस्करी: बागपत में यूरिया का संकट गहराया, बार्डर पर होगी निगरानी
यूरिया का संकट खत्म नहीं हो पा रहा है। गत सप्ताह 610 मीट्रिक टन यूरिया बागपत को मिला था जो हाथों-हाथ बिक गया। अब सहकारी समितियों तथा अधिकांश निजी दुकानों पर यूरिया नहीं।
बागपत, जेएनएन। यूरिया का संकट खत्म नहीं हो पा रहा है। गत सप्ताह 610 मीट्रिक टन यूरिया बागपत को मिला था, जो हाथों-हाथ बिक गया। अब सहकारी समितियों तथा अधिकांश निजी दुकानों पर यूरिया उपलब्ध नहीं होने से किसान हलकान हैं। कृषि निदेशक ने यूरिया तस्करी की आशंका पर यूपी-हरियाणा सीमा पर निगरानी कराने का आदेश दिया है।
बागपत में 35 में से 30 सहकारी समितियों तथा 215 निजी दुकानों में 150 पर यूरिया उपलब्ध नहीं है। दो हजार मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है, लेकिन 150 मीट्रिक टन उपलब्ध है। ज्यादा दिक्कत सहकारी समितियों पर है। जिले में 60 फीसद किसान सहकारी समितियों से यूरिया खरीदते हैं। भाकियू जिलाध्यक्ष चौ. प्रताप सिंह, सिसाना के बिजेंद्र सिंह, बागपत के राजेंद्र सिंह ने कहा कि यूरिया नहीं मिलने से गन्ना और धान उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उप कृषि निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि विभागीय निदेशक ने अंतरराज्यीय सीमाओं पर निगरानी का आदेश दिया है। आशंका है कि अवैध ढंग से कुछ लोग यूपी से यूरिया खरीदकर दूसरे राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं। यूरिया किल्लत की ज्यादातर शिकायत यूपी के उन जिलों से आ रही हैं, जो दूसरे राज्यों की सीमा से सटे हैं। जिले में सहकारी समितियों पर अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर यूरिया वितरण कराने का आदेश दिया है। बागपत में कृषि विभाग के अधिकारियों, कर्मियों की यूपी-हरियाणा सीमा पर निगरानी ड्यूटी लगा दी हैं। तीनों एसडीएम से भी सीमा पर निगरानी कराने का लिखित अनुरोध किया है।
चार माह में समितियों से बांटा गया उर्वरक
उर्वरक मीट्रिक टन
यूरिया 9610
डीएपी 3477
एनपीके 135
इन्होंने बताया
कोरोना और लॉकडाउन के कारण उत्पादन एवं ढुलाई बाधित होने से यूरिया संकट बना है। इसके बावजूद समितियों से लक्ष्य से ज्यादा यूरिया किसानों को उपलब्ध कराया है। फिलहाल यूरिया नहीं है, लेकिन दो-तीन दिन में 600 मीट्रिक टन यूरिया मिलने की उम्मीद है।
-देवेंद्र कुमार, सहायक निबंधक सहकारिता