UP Panchayat Chunav: UP का इकलौता ऐसा जिला, जहां पांच साल में तीन बार बदले जिला पंचायत के बादशाह
उत्तर प्रदेश की ऐसी इकलौती जिला पंचायत जहां पांच साल में तीन बार बादशाह बदले। हनक व दबंगई के बीच सपा के दिग्गज हरेंद्र यादव व प्रदीप चौधरी कुर्सी नहीं बचा पाए। ओमवीर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर दिग्गजों ने ऐसा खेल खेला कि सब चारों खाने चित हुए।
[लोकेश पंडित] बुलंदशहर। जिला पंचायत का पिछला कार्यकाल उठापटक के दौर से गुजरा। राजनीति की बिसात पर चली गई चालों ने प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल ला दिया। धमक के बावजूद सत्ताधारी जिपं अध्यक्ष को कुर्सी गंवानी पड़ी। बुलंदशहर प्रदेश की ऐसी इकलौती जिला पंचायत है, जहां पांच साल में तीन बार बादशाह बदले। हनक व दबंगई के बीच सपा के दिग्गज हरेंद्र यादव व प्रदीप चौधरी कुर्सी नहीं बचा पाए। ओमवीर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर जिला पंचायत दिग्गजों ने ऐसा खेल खेला कि सब चारों खाने चित हुए। पिछले कार्यकाल में जिला पंचायत की राजनीति में हरेंद्र यादव को सपा आलाकमान ने आगे बढ़ाया।
सत्ता के करीबी व साम-दाम-दंड भेद में माहिर हरेंद्र ने 2016 में निर्विरोध अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया। सूबे में सरकार बदली तो नए निजाम की निगाह अध्यक्ष की कुर्सी पर जम गई। 2017 में अविश्वास प्रस्ताव आया। हरेंद्र यादव ने विश्वास मत लायक वोट नहीं होने पर इस्तीफा दे दिया। योगी सरकार में फिर 2018 में भाजपा के प्रदीप चौधरी व महेंद्र भैया आमने सामने आ गए। 53 वोट के रोमांचक मुकाबले में दो वोट निरस्त हुए। प्रदीप व महेंद्र भैया को 25-25 वोट मिले। पंचायत की राजनीति के माहिर सुनील चरौरा ने संकट मोचक बनकर प्रदीप को वोट देकर जिपं की बादशाहत तक पहुंचाया। जिपं की राजनीति में सबसे ज्यादा उठापठक 2019 में रही। सत्ता के बावजूद सदस्यों ने प्रदीप चौधरी के खिलाफ अविश्वास का एलान किया।
अविश्वास लेकर आए महेंद्र भैया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। एडीएम के सामने 25 सदस्य अविश्वास प्रस्ताव के साथ पेश हुए। बाकी तीन सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। एडीएम ने प्रदीप चौधरी के साथ समर्थन बताकर अविश्वास खारिज कर दिया। महेन्द्र भैया इसके खिलाफ हाई कोर्ट गए। मार्च-19 में उच्च न्यायालय की देखरेख में पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 48 सदस्य आए।
प्रदीप चौधरी की गैर मौजूदगी में अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। अगस्त-2019 में फिर चुनाव हुआ। ओमबीर सिंह व महेंद्र भैया आमने-सामने रहे। वोटिंग से पहले महेंद्र भैया ने चुनाव से हटने का एलान कर ओमवीर को निर्विरोध अध्यक्ष बना दिया। जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर तीन चेहरे आए। सियासी उठापठक में सदस्यों को साधने का खेल पूरे पांच साल तक चलता रहा।