UP Board 2020: माध्यमिक स्कूलों में जनवरी में होंगे प्रैक्टिकल, इन बदलावों के साथ होगी परीक्षा

परिषद का फोकस नवंबर-दिसंबर में पूरी तरह से पढ़ाई पर ही रखने को कहा गया है जिससे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहे छात्र-छात्राओं को सिलेबस कवर करने का पूरा मौका मिल जाए। दो महीने केवल पढ़ाई पर ही रहेगा जोर। फरवरी में हो सकती है प्रयोगात्मक परीक्षा।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:01 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 12:01 PM (IST)
UP Board 2020: माध्यमिक स्कूलों में जनवरी में होंगे प्रैक्टिकल, इन बदलावों के साथ होगी परीक्षा
माध्यमिक स्कूलों में जनवरी में होंगे प्रैक्टिकल।

मेरठ, जेएनएन। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश यानी यूपी बोर्ड के स्कूलों में जनवरी में बोर्ड परीक्षा के छात्रों को प्रैक्टिकल कराए जाएंगे। परिषद ने जनवरी से पहले स्कूलों में छात्र छात्राओं को एक साथ एकत्र करने को मना किया है। परिषद का फोकस नवंबर-दिसंबर में पूरी तरह से पढ़ाई पर ही रखने को कहा गया है, जिससे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहे छात्र-छात्राओं को सिलेबस कवर करने का पूरा मौका मिल जाए और शिक्षक भी बच्चों को पढ़ा सकें।

दो माह बस पढ़ाई पर जोर

यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ने वाले 50 फीसद से अधिक छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ सके थे। इसलिए यूपी बोर्ड के छात्रों को स्कूल में पढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

ऑनलाइन न जुड़ने वाले ही आ रहे स्कूल

19 अक्टूबर से शुरू हुए कक्षा में अभी छात्र छात्राएं कम आ रहे हैं। त्योहारों के बाद कक्षा में छात्रों की संख्या बढ़ने की संभावना है। छात्र संख्या बढ़ने के बाद शिक्षक भी पढ़ाई की रफ्तार बना सकेंगे। अभी तक स्कूलों में वहीं छात्र आ रहे हैं जो किसी भी तरह से ऑनलाइन शिक्षा से नहीं जुड़ सके थे। व्हाट्सएप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े छात्रों में स्कूल आने वालों की संख्या अभी कम है। स्कूलों की ओर से उन छात्रों को भी स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे ऑनलाइन पढ़ चुके बच्चों और एकदम न पढ़ पाने वाले बच्चों को साथ पढ़ाने से एक दूसरे की मदद भी कर सकेंगे। नवंबर में हो सकती है छमाही परीक्षा माध्यमिक स्कूलों में नवंबर में छमाही परीक्षा कराने पर भी विचार चल रहा है। स्कूलों का कहना है कि एक बार छमाही परीक्षा कराने से छात्र भी अधिक संख्या में स्कूल आएंगे। साथ ही अब तक पढ़ाए जा चुके सिलेबस की तैयारी का अनुमान भी लगाया जा सकेगा। छमाही परीक्षा तीन घंटे की न कराकर बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ एक या दो घंटे की भी कराने पर चर्चा चल रही है, जिससे छात्रों को अधिक समय तक स्कूल में न बैठना पड़े। परीक्षा भी 50-50 फीसद छात्रों को बुलाकर कराई जाएगी। इसके लिए स्कूलों को पेपर भी अलग बनाने पड़ेंगे।

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