मेरठ में विधानसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार, मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यों की ई-निविदा में लापरवाही

UP Assembly Elections 2022 मेरठ में अजब हाल है। चुनाव के कार्यों में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले सामने आने लगे हैं। शासन स्तर से इस पर जांच बैठा दी गई है और जिला प्रशासन से इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम मांगे हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:30 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 09:30 AM (IST)
मेरठ में विधानसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार, मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यों की ई-निविदा में लापरवाही
शासन ने जिलाधिकारी से मांगे जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों के नाम।

अनुज शर्मा, मेरठ। UP Assembly Elections 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही चुनाव के कार्यों में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले सामने आने लगे हैं। शासन स्तर से इस पर जांच बैठा दी गई है और जिला प्रशासन से इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम मांगे हैं। इस घटनाक्रम से चुनाव कार्यालय में खलबली मची है।

नोटिस जारी किया गया

विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य किया जा रहा है। पुनरीक्षण कार्य के लिए आवश्यक सामग्री तथा कार्यों के लिए टेंडर किया जाना था। इसके लिए जिला निर्वाचन कार्यालय से 12 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक ई-निविदा मांगी गई थीं। लेकिन उक्त निविदा पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई। इसके पीछे तकनीकी खामी को कारण बताया गया। इसके बाद इस कार्य का नोटिस जारी कर दिया गया। इसे नियमविरुद्ध माना गया। लखनऊ से अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने तत्काल इसपर रिपोर्ट मांगी लेकिन शासन को रिपोर्ट संतोषजनक नहीं लगी।

जांच कराई जाएगी

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी चंद्रशेखर ने भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसे 19 जून के शासनादेश का उल्लंघन माना है। उन्होंने जिला प्रशासन से इसकी जांच कराकर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि शासनादेश के मुताबिक कोई भी सामग्री अथवा वस्तु की खरीद केवल जेम पोर्टल से ही की जाएगी। जेम पोर्टल पर उक्त सामग्री उपलब्ध न होने की स्थिति में विभागाध्यक्ष द्वारा प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद उक्त कार्य के लिए ई-निविदा मांगी जा सकती है।

एडीएम सिटी और सीटीओ करेंगे जांच: डीएम

जिलाधिकारी के. बालाजी ने बताया कि शासन के आदेश के बाद इस प्रक्रिया में नियमों के पालन और उल्लंघन की जांच की जिम्मेदारी एडीएम सिटी और मुख्य कोषाधिकारी को सौंपी गई है। उनसे एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई है।

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