Dengue in Baghpat: बागपत में बेकाबू बुखार लील गया दो जानें, नाकाम व्यवस्था के पास बहानें ही बहानें

बुखार से बड़ौत और आरिफपुर में एक-एक मौत। त्योहारी सीजन में स्वजन की मौत का मातम मानने को मजबूर आमजन। बीते दिन में बड़ौत की पट्टी मेहर में एक व्यक्ति और आरिफपुर खेड़ी गांव में महिला ने बुखार से दम तोड़ दिया।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 11:00 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 11:00 PM (IST)
Dengue in Baghpat: बागपत में बेकाबू बुखार लील गया दो जानें, नाकाम व्यवस्था के पास बहानें ही बहानें
बागपत में बुखार से दो लोगों की मौत।

बागपत, जेएनएन। हल्की ठंड की शुरुआत हो चुकी है, मगर बेकाबू बुखार अभी भी जनमानस की जान बख्शनें को तैयार नहीं है। बीते दिन में बड़ौत की पट्टी मेहर में एक व्यक्ति और आरिफपुर खेड़ी गांव में महिला ने बुखार से दम तोड़ दिया। स्वजन जहां निजी लैब के हवाले से बुखार को डेंगू करार दे रहे हैं।

वहीं स्वास्थ्य विभाग मौतें की पुष्टि डेंगू से करने को कतई तैयार नहीं है। शहर की पट्टी मेहर के रहने वाले 50 वर्षीय संजीव मलिक पुत्र मास्टर कटार सिंह की नोएडा के निजी हास्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। स्वजन ने बताया कि बुखार होने पर पहले बड़ौत में डा. प्रदीप जैन के नर्सिंग होम में इलाज शुरू कराया था। यहां आराम न मिलने पर मेरठ और उसके बाद नोएड ले गए। उनकी ब्लड रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई थी। संजीव बेटा भी डेंगू की चपेट में है, जिसका उपचार चल रहा है।

उधर, आरिफपुर खेड़ी गांव की 46 वर्षीय मुन्नी उर्फ कला पत्नी जसबीर को तीन दिन पूर्व बुखार हुआ था। जिसका गांव में ही इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ने पर स्वजन ने बड़ौत ले जाकर एक निजी चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक से दवाइयां आदि लेकर स्वजन महिला को वापस घर ले गए। गुुरुवार देर शाम महिला की मौत हो गयी। गांव में दर्जनों ग्रामीण बुखार की चपेट में हैं। ग्रामीणों ने गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाने मांग की है।

डेंगू टेस्ट के नाम जेब तराशी पर मौन स्वास्थ्य विभाग पिछले दो महीने से जानलेवा बुखार लोगों की जानें लील रहा है मगर इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास कोई कार्ययोजना नहीं है। अलबत्ता स्वास्थ्य विभाग मौतों के कारणों को लेकर ही पेशोपेश में है। स्वजन जहां ब्लड टेस्ट के आधार पर डेंगू से मौत होना बताते हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग का निजी लैबों की रिपोर्ट से जरा भी विश्वास नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि निजी लैब की जिन रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हो रही है, उनका मरीजों से मोटा चार्ज वसूला जा रहा है। जब स्वास्थ्य विभाग उस टेस्ट की रिपोर्ट को मान्यता ही नहीं देता तब निजी लैबों को मरीजों की जेब तराशने की खुली छूट क्यों दी गई है? बहरहाल, बुखार से लगातार मौतें हो रही हैं, जिन्हें रोक पाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम है। स्वजन की असमय रुखसती से लाचार आमजन त्योहारी सीजन में मौत का मातम मनाने पर मजबूर है।

chat bot
आपका साथी