अयोध्या निर्णय के बाद सोशल साइट्स पर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में दो गिरफ्तार Meerut News
अयोध्या निर्णय के बाद सोशल साइट्स पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने वालों पर पुलिस ने शिकंजा कसा है। दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
मेरठ, जेएनएन। अयोध्या निर्णय के बाद सोशल साइट्स पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने वालों पर पुलिस ने शिकंजा कसा है। सोमवार को साइबर सेल की टीम ने दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया, जो वाट्सएप पर एक विवादित नज्म का वीडियो वायरल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। साइबर सेल लगातार ऐसे लोगों पर अपनी नजर बनाए हुए है।
बिगड़ सकता था माहौल
वाट्सएप पर 17 नवंबर को साइबर सेल को एक नज्म का वीडियो मिला, जिससे जनपद का माहौल बिगड़ सकता था। साइबर सेल की टीम ने पहले उक्त वीडियो को डिलीट कराया, उसके बाद वीडियो अपलोड करने वाले फरीदाबाद के गांव बडकल निवासी शाहिद पुत्र रफीक अहमद और फलावदा के मोहल्ला कुरैशियान निवासी फरमान पुत्र जाफिर अली को गिरफ्तार कर लिया। दोनों ने बताया कि उनका उद्देश्य माहौल बिगाड़ना नहीं था। साइबर सेल के प्रभारी सुभाष अत्री का कहना है कि यदि समय पर वीडियो को डिलीट नहीं किया जाता तो शहर का माहौल बिगड़ सकता था।
बुलंदशहर में 730 पोस्ट डिलीट कराई
अयोध्या प्रकरण पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्टों को डिलीट कराने में बुलदंशहर जिले की मीडिया सेल जोन में नंबर वन रही। सेल में तैनात सिपाही खालिद और मोनू कुमार को एसएसपी ने एक हजार का इनाम देकर सम्मानित किया है। इस टीम ने मेरठ जोन की सोशल मीडिया पर नजर रखी और 730 ऐसी पोस्ट डिलीट कराई, जो दंगा भड़का सकती थी।
इस तरह हुई कार्रवाई
लखनऊ पुलिस मुख्यालय से सभी जिलों के एसएसपी को आदेश दिए गए थे कि वह अयोध्या प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर नजर रखें। इसके बाद एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने सिपाही खालिद और मोनू कुमार को मीडिया सेल में तैनात किया था। खालिद ने बताया कि जब भी भड़काऊ पोस्ट फेसबुक या फिर वाट्सएप ग्रुप पर वायरल होती थी तो वह रिपोर्ट आप्शन में जाकर फेसबुक और वाट्सएप कंपनी से अनुरोध कर पोस्ट डिलीट करा देते थे और उसका एकाउंट भी ब्लॉक कर दिया जाता था। इसके बाद संबंधित जिले को रिपोर्ट भेज दी जाती थी कि संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए।