देशभक्ति का जज्बा भी कोरोना संक्रमण की कैद में, आजादी के बाद पहली बार मेरठ में तिरंगा निर्माण बंद

Tricolor construction stopped कोरोना संक्रमण ने देशभक्ति के जज्बे को भी कैद कर लिया है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब मेरठ स्थित गांधी आश्रम में तिरंगे का निर्माण बंद है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 08:30 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 08:30 AM (IST)
देशभक्ति का जज्बा भी कोरोना संक्रमण की कैद में, आजादी के बाद पहली बार मेरठ में तिरंगा निर्माण बंद
देशभक्ति का जज्बा भी कोरोना संक्रमण की कैद में, आजादी के बाद पहली बार मेरठ में तिरंगा निर्माण बंद

मेरठ, [आकाश दुबे]। Tricolor construction stopped कोरोना संक्रमण ने देशभक्ति के जज्बे को भी कैद कर लिया है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब मेरठ स्थित गांधी आश्रम में तिरंगे का निर्माण बंद है। हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 से 20 हजार तिरंगों की डिमांड आती थी। गढ़ रोड स्थित गांधी आश्रम में छपाई एवं रंगाई विभाग के व्यवस्थापक भूपेंद्र उपाध्याय का कहना है कि आमतौर पर हर माह देश के अलग-अलग हिस्सों से तिरंगे की मांग आती थी। स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय पर्व के मौकों पर गांधी आश्रम में बने तिरंगे की मांग खूब रहती थी। इस बार काम बंद होने से मांग के अनुरूप झंडे स्टाक में नहीं हैं। मुश्किल से पांच से छह हजार ध्वज ही स्टाक में बचे हुए हैं।

1920 में रखी थी आश्रम की नींव

महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन चला रहे थे। तत्कालीन बनारस (वाराणसी) में भी गांधीजी की सभा होनी थी। काशी हिंदूू विश्वविद्यालय के संस्थापक व प्रोफेसर रहे महामना मदन मोहन मालवीय व प्रोफेसर जेबी कृपलानी इसमें सहयोग के लिए आगे आए। अंग्रेजों को यह बात पंसद नहीं आई और उन्होंने इसकी मुखालफत की। इस पर जेबी कृपलानी ने कुछ छात्रों के साथ विश्वविद्यालय छोड़ दिया और नवंबर 1920 को बनारस में गांधी आश्रम की स्थापना की। बाद में विस्तार के तहत मेरठ में भी गांधी आश्रम की स्थापना हुई। इसके लिए असौड़ा के जमींदार रहे रघुवीर नारायण त्यागी ने जमीन उपलब्ध कराई।

पहली बार बंद हुआ तिरंगे का निर्माण

भूपेंद्र उपाध्याय ने बताया कि गांधी आश्रम में 1949 के आसपास से तिरंगा बनाने का काम हो रहा है। देश पर कई तरह के संकट आए लेकिन देश की आन-बान-शान राष्ट्रीय ध्वज को बनने वाले कर्मचारियों के हाथ कभी रुके नहीं। कोरोना काल में पहली बार गांधी आश्रम में तिरंगा बनाने का काम बंद है।

तिरंगे के लिए तीन स्थान अधिकृत

तिरंगा निर्माण के मानक तय हैं। इसीलिए तिरंगा चुनिंदा जगहों पर तैयार किया जाता है। भूपेंद्र उपाध्याय ने बताया कि हुबली कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संघ हुबली, इर्ला रोड विले पार्ले मुंबई और तीसरी जगह क्षेत्रीय गांधी आश्रम गढ़ रोड मेरठ है। देशभर में केवल यही तिरंगा बनाने के लिए अधिकृत हैं।

हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पर फहराया जा चुका है मेरठ में बना तिरंगा

मेरठ में बना तिरंगा प्रदेश के जिलों के अलावा दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा समेत कई राज्यों में भेजा जाता है। भूपेंद्र उपाध्याय ने बताया सरकारी भवनों पर भी मेरठ में बना तिरंगा फहराया जाता है। पुलिस मुख्यालय, जेल, विद्यालयों, पोस्ट ऑफिस आदि जगहों की शान बनता है यहां का तिरंगा। हाई कोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में मेरठ का बना तिरंगा फहराया जा चुका है।

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