Tribute To Milkha Singh: मिल्खा ने मेरठ को बताया था खेलों की मिट्टी, पाक धावक अब्दुल खालिक से भी मिलने आए थे

मेरठ में मिल्‍खा सिंह ने अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह उस जगह खड़े हैं जिसे खेल की मिट्टी कहा जाता है। उन दिनों जूनियर व सीनियर हाकी टीम में मेरठ का दबदबा हुआ करता था। यहां पर उनका जोरदार स्‍वागत किया गया था।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 01:00 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 01:00 PM (IST)
Tribute To Milkha Singh: मिल्खा ने मेरठ को बताया था खेलों की मिट्टी, पाक धावक अब्दुल खालिक से भी मिलने आए थे
मेरठ में स्कूल में आगमन पर मिल्खा सिंह के साथ स्कूल के प्रिंसिपल एचएम राउत व अन्य। सौ. स्कूल

मेरठ, जेएनएन। दीवान पब्लिक स्कूल के तात्कालीन प्रिंसिपल और वर्तमान निदेशक हरमोहन राउत के अनुसार उन्होंने सेना के अफसर मित्रों की मदद से मिल्खा सिंह से संपर्क कर स्कूल में आमंत्रित किया था। स्कूल पहुंचने पर मिल्खा सिंह ने पूरी व्यवस्था का बारीकी से निरीक्षण किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह उस जगह खड़े हैं जिसे खेल की मिट्टी कहा जाता है। उन दिनों जूनियर व सीनियर हाकी टीम में मेरठ का दबदबा हुआ करता था। उन्होंने अपने संबोधन में इसका भी जिक्र किया जिससे पता चलता है कि उनके मन में मेरठ के प्रति कितना सम्मान था।

रिकार्ड टूटने पर खुश हुए थे फ्लाइंग सिख : अनु कुमार

जिला एथलेटिक संघ के सचिव अनु कुमार बताते हैं कि साल 2006 में मुंबई मैराथन में उनकी मुलाकात मिल्खा सिंह से हुई थी। वहां भी अपने संबोधन में मिल्खा सिंह खिलाडिय़ों को ओलंपिक में पदक जीतने को ही प्रेरित कर रहे थे। साल 2009 में चंडीगढ़ में मिलने का मौका मिलता लेकिन उसी दौरान उन्होंने चंडीगढ़ एथलेटिक एसोसिएशन के प्रेसीडेंट पद से इस्तीफा दे दिया था। अनु कुमार के अनुसार करीब 40 सालों बाद जब परमजीत सिंह ने 400 मीटर की दौड़ में मिल्खा सिंह का रिकार्ड तोड़ा तो वह भी उस प्रतियोगिता का हिस्सा थे। देश में रिकार्ड टूटने पर भी मिल्खा सिंह बहुत अधिक खुश नहीं थे, लेकिन जब ओलंपिक में केएम बीनू ने उनका रिकार्ड तोड़ा तब वह आश्वस्त हो गए कि अब उनके अन्य रिकार्ड भी टूटेंगे।

पाकिस्तानी धावक खालिक से मिलने मेरठ आए थे मिल्खा

वर्ष 1960 में पाकिस्तान के लाहौर में हुई 200 मीटर दौड़ में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान के स्टार धावक अब्दुल खालिक को हरा दिया था। महज पांच साल बाद पाकिस्तान से वर्ष 1965 में हुए युद्ध के दौरान खालिक को भी भारतीय सेना बंदी बनाकर मेरठ छावनी में लेकर आई थी। मेरठ छावनी की जेल में बंद रहने के दौरान खालिक ने मिल्खा सिंह से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी। सूचना मिलते ही मिल्खा सिंह उस समय मेरठ आए थे और जेल में खालिक से मुलाकात होने पर दोनों एथलीट खूब रोए थे। इस बात की जानकारी स्वयं मिल्खा सिंह ने कई सालों बाद एक साक्षात्कार में दी थी। चिर प्रतिद्वंद्वी होने के बाद भी मिल्खा और खालिक एक खिलाड़ी के रूप में एक-दूसरे का सम्मान करते थे।

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