पेड़ कटेंगे तो मेरठ में लेकिन पौधरोपण होगा मीरजापुर में,आप भी चौंक गए जानिए पूरा मामला

मेरठ में मार्ग चौड़ीकरण की कवायद में गंगनहर पटरी के दायीं ओर नवनिर्माण में वन विभाग की 223 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा रही है। मुजफ्फरनगर से मेरठ होते हुए मुरादनगर तक 111.49 किलोमीटर गंगनहर पटरी के निर्माण में लगभग 40 हजार पेड़ों को हटाया जाएगा।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 11:30 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 11:30 AM (IST)
पेड़ कटेंगे तो मेरठ में लेकिन पौधरोपण होगा मीरजापुर में,आप भी चौंक गए जानिए पूरा मामला
मेरठ में गंगनहर पटरी के नवनिर्माण में 223 हेक्टेयर का किया जाना है भूमि अधिग्रहण।

विनय विश्वकर्मा, मेरठ। आपको यह व्यवस्था शायद कुछ अचंभित करे कि पेड़ मेरठ में कटेंगे और इसके बदले में पौधे लगेंगे शिवालिक की पहाडिय़ों और मीरजापुर में। हालांकि यह सच्चाई है और इसपर अमल भी होने जा रहा है। दरअसल, गंगनहर पटरी के नवनिर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस क्रम में गंगनहर पटरी पर 223 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लगभग 40 हजार पेड़ काटे जाएंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों के तहत दोगुनी जगह पर लोक निर्माण विभाग को यह पेड़ लगाने होंगे। इसके लिए शासन स्तर पर सहारनपुर में शिवालिक की पहाडिय़ों व मीरजापुर जिले के जंगल चिह्नति किए गए हैं लेकिन सवाल उठता है कि मेरठ में पेड़ काटकर प्रदेश के दूसरे हिस्सों में पौधरोपण करने से अपने शहर का पर्यावरण कैसे संतुलित रहेगा।

यह है पूरा मामला

गंगनहर पटरी के दायीं ओर नवनिर्माण में वन विभाग की 223 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा रही है। मुजफ्फरनगर से मेरठ होते हुए मुरादनगर तक 111.49 किलोमीटर गंगनहर पटरी के निर्माण में लगभग 40 हजार पेड़ों को हटाया जाएगा। एनजीटी नियमों के तहत हरियाली व पर्यावरण संतुलन के लिए लोक निर्माण विभाग को इसके बदले दोगुनी भूमि यानि 446 हेक्टेयर के जंगल में पेडों को लगाना होगा। इसके लिए शासन ने सहारनपुर के शिवालिक जंगल की पहाडिय़ों व मीरजापुर में भूमि चिह्नति की है। शिवालिक में 146 व मीरजापुर में 300 हेक्टेयर जंगल उपलब्ध हैं। इस संबंध में मुजफ्फरनगर, मेरठ व गाजियाबाद के डीएफओ ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी है। गंगनहर पटरी का नवनिर्माण 628.74 करोड़ में किया जाएगा। इसके लिए स्टेज वन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

पेड़ लगाने के लिए एनजीटी का नियम

यदि कहीं पर विकास कार्य के दौरान पेड़ काटने की जरूरत पड़ती है तो एनजीटी के नियमों के अनुसार वन विभाग को उससे दोगुनी जगह पर पेड़ लगाने अनिवार्य हैं। पेड़ लगाने में जो भी खर्च या लागत आती है, विकास कार्य करने वाला विभाग, वन विभाग को इसका भुगतान करता है।

ट्रांसप्लांट करने का प्रयास : मुख्य अभियंता

लोक निर्माण विभाग (पश्चिम) के मुख्य अभियंता संदीप कुमार ने बताया कि जो पेड़ गंगनहर पटरी के नव-निर्माण के लिए हटाए जा रहे हैं, उसमें प्रयास किया जा रहा है कि कम से कम दस हजार हरे पेड़ों को यहां से ले जाकर ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) कर दिया जाए। इससे हरियाली के साथ पर्यावरण संतुलन भी बना रहे। 

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