देश को अपना घर समझें, फिर एक-एक चीज संभालें

सरकार द्वारा जनता के टैक्स के पैसों से जनता के उपयोग के लिए निर्मित व्यवस्था अथवा संपत्ति जिस पर सरकार एवं जनता का साझा स्वामित्व हो सार्वजनिक संपत्ति कहलाती है। उदाहरण के तौर पर सरकारी विद्यालय कालेज अस्पताल सड़कें सरकारी कार्यालय जल निगम विद्युत विभाग नगर पालिका सार्वजनिक पार्क आदि।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 08:30 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:30 AM (IST)
देश को अपना घर समझें, फिर एक-एक चीज संभालें
देश को अपना घर समझें, फिर एक-एक चीज संभालें

मेरठ, जेएनएन। सरकार द्वारा जनता के टैक्स के पैसों से जनता के उपयोग के लिए निर्मित व्यवस्था अथवा संपत्ति, जिस पर सरकार एवं जनता का साझा स्वामित्व हो, सार्वजनिक संपत्ति कहलाती है। उदाहरण के तौर पर सरकारी विद्यालय, कालेज, अस्पताल, सड़कें, सरकारी कार्यालय, जल निगम, विद्युत विभाग, नगर पालिका, सार्वजनिक पार्क आदि।

वस्तुत: सरकार प्रत्यक्ष एवं परोक्ष कर के रूप में अपने नागरिकों से जो धन एकत्र करती है, उसका उपयोग नागरिकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक वस्तुओं एवं व्यवस्था पर खर्च करती है। सार्वजनिक हित की वस्तुओं अथवा व्यवस्था जिसे हम सार्वजनिक संपत्ति कहते हैं, के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व सरकार का होता है। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि आम नागरिक का इस व्यवस्था में कोई योगदान नहीं होता है। अपितु सार्वजनिक संपत्ति और व्यवस्था के रखरखाव में सरकार को सहयोग प्रदान करना हर नागरिक का मूलभूत कर्तव्य है।

बहादुरी नुकसान करने में नहीं, बचाए रखने में है

प्राय: देखा जाता है कि सार्वजनिक स्थल पर ही नहीं, अपितु अपने घरों में भी बिजली, पानी, भोजन जैसे संसाधनों को व्यर्थ नष्ट कर देश को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पुस्तकालय से पुस्तक के पन्नों को फाड़ना, सार्वजनिक स्थल पर कूड़ा-कचरा डालना एवं गंदगी फैलाना, सार्वजनिक संपत्ति को चुराना और तोड़फोड़ करना, आगजनी करना किसी भी देश के सभ्य नागरिक को शोभा नहीं देता। ऐतिहासिक महत्व के भवनों पर अपना नाम उकेर कर अमर होने की लालसा असभ्यता ही प्रदर्शित करती है। रेलवे राष्ट्रीय संपत्ति है। जिस पर देश के सभी नागरिकों का समान अधिकार है। परंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि रेल के डिब्बों में लगे पंखे, बल्ब आदि हम निकालकर अपने घर ले जाएं। सरकारी नीतियों के विरोध में अथवा अपनी मांगें पूरी कराने के लिए रेल की पटरियां उखाड़ना, सरकारी वाहनों को आग लगाना, दुकानों में तोड़फोड़ व लूटपाट करना सभ्य समाज का चरित्र कैसे हो सकता है? ऐसा करके 21वीं सदी के प्रगतिशील भारत को क्या हम दशकों पीछे नहीं धकेलते हैं? इस प्रकार के कृत्य से आखिर हम किसका नुकसान करते हैं। उत्तर है, स्वयं अपना। क्योंकि देश के संसाधन हमारे अपने टैक्स के पैसों से हमारे ही सदुपयोग के लिए सृजित किए गए हैं। देश् हित में मानव कल्याण के लिए हर नागरिक को राष्ट्रीय संपत्ति एवं संसाधनों का बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग करना है जिससे देश का प्रत्येक नागरिक लाभांवित हो सके।

अपने घर की तरह रखें देश का ख्याल भी

अक्सर हमें अपना सामान, अपना कमरा, अपना घर, अपना परिवार को संभालने की सीख दी जाती है। उस सीख का मतलब यह नहीं होता है कि केवल अपना संभालें और दूसरों का नुकसान करें। घर से बड़े के बीच उस सीख की शुरुआत इसलिए कराई जाती है, जिससे आप हर वस्तु व व्यक्ति का मूल्य समझ सकें। हमारे जीवन में क्या जरूरी है, उसका आभास कर सकें। अक्सर जो वस्तु हमें पसंद होती हैं उसे हम बहुत संभाल कर रखते हैं। जो व्यक्ति हमें सबसे ज्यादा अजीज हैं, उन्हें सर्वाधिक प्यार और सम्मान करते हैं। उसी तरह आप अपने आसपास, अपने मोहल्ले में, अपने शहर में और अपने देश में जिस तरह का माहौल देखना या बनना चाहते हैं, उसकी शुरुआत भी घर से ही होगी। यहां से शुरू होकर देश प्रेम या राष्ट्र प्रेम तक पहुंची हैं। जब हम अपने देश को अपने घर की तरह देखते हैं तो इसकी हर चीज हमें प्यारी लगती है। जो खराब है, उसे हम सभी मिलकर ठीक भी करने की कोशिश करते हैं।

स्कूलों से जगानी होगी राष्ट्र प्रेम की भावना

सार्वजनिक संपत्ति, राष्ट्रीय धरोहर एवं देश के संसाधनों के लिए सम्मान का भाव प्रत्येक देशवासी में समाहित हो, इसके लिए एक शिक्षक के तौर पर विद्यालय स्तर पर विद्यार्थी के विनिर्माण के दिनों में हम सबकी जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पहली कक्षा से ही प्रत्येक विद्यार्थी को भोजन, पानी, बिजली जैसे राष्ट्रीय महत्व के संसाधनों, अपनी एवं अपने वातावरण की स्वच्छता तथा विद्यालय की संपत्ति के प्रति सम्मान एवं इनके दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। जब राष्ट्र गौरव, देशहित, मानव कल्याण तथा राष्ट्रीय संपत्ति और सार्वजनिक महत्व की वस्तुओं का सम्मान हर विद्यार्थी के चरित्र का मूल अंग बनेगा, तभी वास्तव में देश प्रगतिशील होगा। जय हिद।

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प्रस्तुति : लक्ष्मी सिंह, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय पंजाब लाइंस

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