शब्द हूं मैं.. अगर उसका तुम अर्थ हो
सरधना में संस्कार भारती के तत्वावधान में रविवार को देवी मंदिर स्थित सभागार करवा चौथ पर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें कवियों ने कविता पेश कर लोगों को दाद देने पर मजबूर कर दिया।
मेरठ, जेएनएन। सरधना में संस्कार भारती के तत्वावधान में रविवार को देवी मंदिर स्थित सभागार करवा चौथ पर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें कवियों ने कविता पेश कर लोगों को दाद देने पर मजबूर कर दिया।
कवि सम्मेलन के प्रारंभ में संस्कार भारती के अध्यक्ष उमेश पंडित ने संस्था के संरक्षक दीपक शर्मा, सूर्यदेव त्यागी, करनपाल गोस्वामी, संजीव पवार, सुभाष, लोकेश जैन, अशोक कुमार, मुनेश त्यागी, मनमोहन त्यागी, सिद्धार्थ त्यागी व मुकेश गोयल आदि व कवियों का माल्यार्पण कर शाल ओढाकर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन में कवि सुदेश दिव्य ने पढ़ा कि-शब्द हूं मै अगर उसका तुम अर्थ हो, मेरे जीवन की तुम ही तो सामर्थ हो। बिन तुम्हारे तो मै शून्य जैसा हुआ। लौट आओ प्रिय ना समय व्यर्थ हो।
कवियित्री रचना बानिया ने कहा-भाव नीचे जब किए, भाव ऊंचे चढ़ गए, नस बंदियां जितनी हुई, बच्चे भी उतने बढ़ गए।
कवि बंशीधर ने बताया-वक्त के हाथों का निवाला है
जिदगी। तुलसी है, कभी सूर निराला है जिदगी।
श्वासों के तार-तार ने हंस कर के यों कहा। मीरा के मधुर प्रेम का प्याला है जिदगी।
कवि विजय प्रेमी ने कहा-रिश्तों को जी टूटने मत दीजिए। अपनों को भी रूठने मत दीजिए। टूट गए तो गांठ पड़ ही जाएगी। हाथों से हाथ छूटने मत दीजिए।
कवि संजीव त्यागी ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कविता सुनाई- सरहद का दीवानापन हो उसको सैनिक कहते हैं। जो शत्रु की छाती को चीरे उसको सैनिक कहते हैं। देश प्रेम की बहती ज्वाला और तिरंगे की खातिर। जो मृत्यु का आलिगन करता उसको सैनिक कहते हैं।
कवि विनेश ने कहा कि- एक दिन दादाजी ने मुझसे कहा। बेटा पहले जैसा कुछ भी तो नहीं रहा।
इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। कवि सम्मेलन का संचालन संस्था के संरक्षक शिक्षक दीपक शर्मा ने किया।