नवजात को सर्दी से बचाएगी शीशे से छनी धूप
सर्दी के सितम के बीच नवजातों को ठंड से बचाना बेहद जरूरी है। शिशुओं में शरीर ठंडा पड़ने या हाइपोथíमया का बड़ा खतरा होता है। ऐसे में उनका तापमान 36.5 डिग्री से ज्यादा रखने की चुनौती है।
मेरठ, जेएनएन। सर्दी के सितम के बीच नवजातों को ठंड से बचाना बेहद जरूरी है। शिशुओं में शरीर ठंडा पड़ने या हाइपोथíमया का बड़ा खतरा होता है। ऐसे में उनका तापमान 36.5 डिग्री से ज्यादा रखने की चुनौती है। सíदयों की धूप सेंकने से न सिर्फ शरीर गर्म रहेगा, बल्कि त्वचा के जरिए शरीर को पर्याप्त पोषण भी मिलता है। लेकिन शिशुओं को धूप से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाना होगा, ऐसे में शीशे से छनी धूप सेंकना काफी फायदेमंद है। नवजात को सर्द हवाओं के संपर्क में आने से बचाएं। शरीर का तापमान 36.5 से 37.2 डिग्री के बीच रखना चाहिए।
शिशु का हाथ ठंडा तो सावधान
नवजात का शरीर गर्म व हाथ ठंडे हैं तो यह खतरनाक लक्षण है। इसे कोल्ड स्ट्रेस कहते हैं। ऐसे शिशुओं का वजन नहीं बढ़ता। शुगर भी कम हो सकती है। अगर शिशु का वजन ढाई किलो से कम है तो उसमें हाइपोथíमया का रिस्क ज्यादा होता है। वजन 1800 ग्राम से कम है तो शिशु को सीधे नर्सरी ले जाना चाहिए। उन्हें हर दो घटे पर दूध पिलाएं, जिससे तापमान बेहतर रहे। मा का हाथ भी थर्मामीटर का काम करता है।
ये होना चाहिए शिशु की शरीर का तापमान
36-37.5 डिग्री-----सामान्य तापमान
36-36.5 डिग्री-----हल्का हाइपोथíमया
32-36 डिग्री------मध्यम हाइपोथíमया
32 डिग्री से कम---गंभीर
शरीर ठंडा, बच्चे की शुगर तो कम नहीं
शिशु को ज्यादा ठंडी लगना उसकी शुगर कम होने के संकेत हैं। हाइपोथíमया संक्रमण की वजह से भी ऐसा हो सकता है। चिकित्सक से जाच कराएं और कमरे का तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस रखें। हीटर का प्रयोग कर सकते हैं। कमरे को गर्म रखकर ही तेल मालिश करना चाहिए। शिशु को तीन-चार परत में रखना चाहिए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नवजातों में ठंड लगना खतरनाक है। उनका शरीर गर्म और हाथ ठंडे हैं तो डाक्टर से संपर्क करें। ढाई किलो से कम वजन के शिशुओं के लिए ज्यादा रिस्क है। गीले कपड़े से बचाएं। धूप सेंकने के दौरान शीशे से छनी धूप ही शिशु को दें। रोजाना न नहलाएं। नैपकिन बदलते समय शिशु को ठंड लग सकती है। मा का दूध बच्चे का शरीर गर्म रखता है। दूध पिलाने के बाद शिशु को तत्काल दूसरे बिस्तर पर न करें। कैप व मोजा पहनाने के साथ शरीर भी ढंककर रखें।
-डा. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ