दावों के बीच 'पंजे' में फंसी तेंदुए की कहानी.. दहशत बरकरार

चिंदौड़ी के ग्रामीण इन दिनों दहशत में हैं। इस दहशत की वजह है गांव में तेंदुए की दस्तक। ग्रामीण अपने परिवार और मवेशियों की रखवाली के लिए रातभर जागकर पहरा दे रहे हैं। कुछ ग्रामीण तो तेंदुए को देखने का दावा भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 01:50 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 02:52 AM (IST)
दावों के बीच 'पंजे' में फंसी तेंदुए की कहानी.. दहशत बरकरार
दावों के बीच 'पंजे' में फंसी तेंदुए की कहानी.. दहशत बरकरार

मेरठ, जेएनएन। चिंदौड़ी के ग्रामीण इन दिनों दहशत में हैं। इस दहशत की वजह है गांव में तेंदुए की दस्तक। ग्रामीण अपने परिवार और मवेशियों की रखवाली के लिए रातभर जागकर पहरा दे रहे हैं। कुछ ग्रामीण तो तेंदुए को देखने का दावा भी कर रहे हैं। डर के मारे वे खेतों पर भी झुंड बनाकर जा रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से सुरक्षा की गुहार लगाई है। वहीं, दूसरी ओर वन विभाग जंगली बिल्ली होने का दावा कर रहा है।

बहरहाल, दहशत-दावों के बीच तेंदुए की यह कहानी अब पंजे के निशान के साइज पर आ टिकी है। वन विभाग के अफसरों से बात की गई तो उन्होंने जंगली बिल्ली और तेंदुए के पंजों का अंतर समझाया। चिदौड़ी में तेंदुआ आने की खबर से आसपास के गांवों में भी दहशत का माहौल है। तेंदुए का खौफ इस कदर छाया है कि शाम होते ही गांव में सन्नाटा छा जाता है। अंधेरे में ज्यादातर लोगों ने घरों के बाहर निकलना बंद कर दिया है। मकान की मंगलवार को मकानों की छतों पर मिले पंजों के निशानों को भी ग्रामीण तेंदुए के बता रहे हैं। किसी ने गीदड़ मारते देखा तो किसी को ट्यूबवेल पर दिखा तेंदुआ

चिंदौड़ी निवासी समंदर बताते हैं कि 23 अक्टूबर की रात को उन्होंने अपने कोल्हू पर तेंदुए को गीदड़ को मारकर खाते हुए देखा है। उन्होंने बचाने का प्रयास किया तो तेंदुआ गीदड़ को खींचकर ईख के खेत में ले गया। तेजबीर ने बताया कि उन्होंने 25 अक्टूबर को अपने ट्यूबवेल पर तेंदुआ देखा था। वहीं, वीरपाल का कहना है कि 26 अक्टूबर को उन्होंने जबसे तेंदुए को देखा है, वह खेतों पर काम करने नहीं जा पा रहे हैं। प्रदीप चिदौड़ी, मुकेश, अजय आदि ने बताया कि मकानों की छतों पर खून के पंजों के निशान मिलने के बाद दहशत और बढ़ गई है। ग्रामीणों का आरोप, वन विभाग ने पलटकर नहीं देखा

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में तेंदुए से लोग दहशत में हैं। दिन-रात जागकर पहरा देना पड़ रहा है, लेकिन वन विभाग की टीम ने पिछले दो दिन से पलटकर नहीं देखा। हालांकि तेंदुए की सूचना पर वन विभाग की टीम ने कुछ दिन पहले गांव में पहुंचकर जांच की थी। वन विभाग का दावा, छह इंच चौड़ा होता है तेंदुए का पंजा

वन विभाग के अनुसार तेंदुए का पंजा छह इंच चौड़ा होता है। इसके अलावा इसमें नाखून के निशान नहीं छपते। जबकि जंगली बिल्ली का पंजा करीब ढाई से तीन इंच चौड़ा होता है और इसमें नाखून के निशान मिलते हैं। छत पर मिले पंजों के निशान ढाई से तीन इंच चौड़े

ग्रामीणों का कहना है कि छतों पर मिले पंजे के निशानों की चौड़ाई काफी है। ये करीब ढाई से तीन इंच चौड़े हैं, जंगली बिल्ली के पंजे के निशान छोटे होते हैं। साथ ही छत पर मिले पंजे के इन निशानों में नाखून भी नहीं छपे हैं। इन्होंने कहा-

ग्रामीणों को समझा चुके हैं कि तालाब करीब होने के कारण जंगली बिल्ली मछली खाने के लिए अक्सर वहां आती है। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को जंगली बिल्ली का चिदौड़ी से खींचा हुआ फोटो भी दिखाया है।

संजय कुमार चौधरी, वन रेंजर अधिकारी सरधना

chat bot
आपका साथी