हकीकत में पिछड़ न जाए दावों की 'रफ्तार' Meerut News
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के मेरठ से डासना तक 32 किमी के ग्रीनफील्ड हिस्से को 31 दिसंबर तक पूरा करने की चुनौती अब एनएचएआइ और कार्यदायी कंपनी को परेशान करने लगी है। मेरठ के लिए एक्सप्रेस-वे का मुख्य बिंदु है परतापुर तिराहा।
मेरठ, जेएनएन। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के मेरठ से डासना तक 32 किमी के ग्रीनफील्ड हिस्से को 31 दिसंबर तक पूरा करने की चुनौती अब एनएचएआइ और कार्यदायी कंपनी को परेशान करने लगी है। परतापुर इंटरचेंज और डासना के एलिवेटेड स्ट्रक्चर को देखकर नहीं लगता कि तय समय पर काम पूरा हो पाएगा, लेकिन एनएचएआइ का दावा अब भी यही है कि तय समय में काम पूरा हो जाएगा। जैसे-जैसे मेरठ से दिल्ली तक 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचने का ख्वाब पूरा होने के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे ही समय पर काम पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है। मेरठ के लिए एक्सप्रेस-वे का मुख्य बिंदु परतापुर तिराहा। यहां इसके लिए इंटरचेंज बन रहा है। इसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि इसे दिसंबर तक तैयार किया जा सकेगा, लेकिन एनएचएआइ को इसमें शक नहीं है। इंटरचेंज पर 65 फीसद काम पूरा हो गया है। रेलवे ओवरब्रिज, दिल्ली रोड पर ओवरब्रिज, दो अंडरपास तैयार हो चुके हैं। एक अंडरपास व रजवाहे पर पुलिया अभी निर्माणाधीन है। इसे सितंबर तक पूरा करने का लक्ष्य था, जो नहीं हो पाया। इन तीनों अंडरपास के बीच मिट्टी का भराव करके उसे रेलवे ओवरब्रिज तक ले जाया जाएगा। इसकी दूरी हो जाएगी करीब एक किमी। इसका काम भी अभी अधर में ही है। इसी तरह से रेलवे ओवरब्रिज को दिल्ली रोड के ओवरब्रिज से जोड़ने के लिए भी मिट्टी का भराव तेजी से नहीं हो पा रहा है। परतापुर तिराहे के पास रेलवे ओवरब्रिज से लेकर डासना के पास कुशलिया तक पूरी तरह से एक्सप्रेस-वे को तैयार कर लेने का लक्ष्य था। इसकी दूरी है 27 किमी। इसका मकसद यह था कि परतापुर तिराहे के ओवरब्रिज से लेकर कुशलिया तक यदि काम पूरा हो जाएगा तो वाहन निकालने शुरू कर दिए जाएंगे और इंटरचेंज व डासना का एलिवेटेड स्ट्रक्चर बाद तक बनता रहेगा। कुशलिया में इस एक्सप्रेस-वे को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे से भी जोड़ा गया है। इसे पूरा करना तो दूर अभी करीब 25 स्थानों पर ठीक से स्ट्रक्चरों को जोड़ा तक नहीं जा सका है। मुरादाबाद गांव में जहां किसान धरने पर बैठे हैं, वहां करीब डेढ़ किमी तक डामर के लिए कंक्रीट का काम भी नहीं हो सका है। कलछीना व कुशलिया में दो स्ट्रक्चर अभी भी अधूरे हैं। डासना में 700 मीटर का एलिवेटेड स्ट्रक्चर निर्माणाधीन है। इसके पिलर तो बन गए हैं पर छत डालने व उसके ऊपर सड़क तैयार करने में अभी वक्त लगेगा। किसानों के अवरोध से पिछड़ा काम कार्यदायी कंपनी व एनएचएआइ के अधिकारियों के अनुसार जब भी काम ने रफ्तार पकड़ी कभी बारिश तो कभी किसानों ने काम रुकवा दिया। अब भी मुरादाबाद गांव में किसान एक्सप्रेस-वे पर ही धरने पर बैठे हैं। ऐसे में उसके आसपास काम नहीं हो पा रहा है। वहीं, डासना में आदर्श नगर के लोगों ने अपनी अलग मांग लेकर काम रुकवा दिया। इन सब अवरोध की वजह से लगातार काम पिछड़ता जा रहा है। एक-एक दिन कीमती है, लेकिन 25 सितंबर को कृषि विधेयक के विरोध में भी परतापुर तिराहे पर काम किसानों ने ठप कराए रखा। कहने को 95 दिन, लेकिन असल में बचे हैं कम आज से 31 दिसंबर तक के दिन गिने जाएं तो 95 बच रहे हैं। क्योंकि इसमें कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं होता। लेकिन दिवाली आने वाली है, ऐसे में बड़ी संख्या में स्टाफ अपने घर भी जाएगा। बिहार जैसे स्थानों के श्रमिक या अन्य स्टाफ यदि दिवाली में घर न गए तो छठ पर्व के लिए घर जाएंगे। इससे काम धीमा हो जाएगा। वहीं पिछले साल की तरह इस बार भी स्माग की वजह से काम रोकने का डर भी सता रहा है। हर हाल में पूरा कर लेंगे काम : परियोजना निदेशक एनएचएआइ के डीजीएम व एक्सप्रेस-वे के परियोजना निदेशक मुदित गर्ग का कहना है कि 76 फीसद काम हो गया है। सभी स्ट्रक्चर तैयार हैं। चार स्ट्रक्चर बचे हैं, जिन पर गर्डर लां¨चग होनी है। 15 फीसद ही मिट्टी का भराव शेष है। इसमें परतापुर तिराहे के इंटरचेंज का काम भी शामिल है। इंटरचेंज में अब समय नहीं लगेगा, क्योंकि उससे जुड़े सभी मुख्य कार्य कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हर हाल में 31 दिसंबर तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा। किसानों के अवरोध से काम प्रभावित हुआ है, फिर भी लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।