कई दिन पहले लिखी जा चुकी थी लूट की पटकथा
लूट की वारदात को अंजाम देने की पटकथा कई दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि कई दिनों से देवेंद्र वर्मा की दुकान के इर्द-गिर्द संदिग्ध युवक नजर आ रहे थे। वह दुकान के सामने खड़े होकर भी इधर-उधर देखते थे। शायद वह सही मौके की तलाश में थे। सही मौका मिलते ही बदमाशों ने घटना को अंजाम दे डाला।
मेरठ । लूट की वारदात को अंजाम देने की पटकथा कई दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि कई दिनों से देवेंद्र वर्मा की दुकान के इर्द-गिर्द संदिग्ध युवक नजर आ रहे थे। वह दुकान के सामने खड़े होकर भी इधर-उधर देखते थे। शायद वह सही मौके की तलाश में थे। सही मौका मिलते ही बदमाशों ने घटना को अंजाम दे डाला।
लूट का रिहर्सल भी हुआ
बताया जा रहा है कि बदमाश कई दिन से रेकी कर रहे थे। उन्होंने लूट का रिहर्सल किया और यही वजह रही कि पॉश इलाके में सरेबाजार घटना को अंजाम देकर बदमाश हथियार लहराते हुए भाग गए। उन्हें आभास था कि यदि कोई गड़बड़ भी हुई तो उन्हें कोई नहीं छेड़ेगा।
दहशत में हैं सर्राफ व परिवार
सर्राफ देवेंद्र वर्मा, उनकी पत्नी माया वर्मा, पुत्रवधू कविता वर्मा आदि परिजनों की आंखों में दहशत साफ नजर आई। पीड़ित परिवार की आंखों के सामने अब भी घटना का दृश्य तैर रहा है। वे सहमे हुए हैं।
संपन्न है परिवार
देवेंद्र वर्मा का परिवार संपन्न है। उनके एक पुत्र अमित वर्मा मुरादनगर बैंक में अधिकारी हैं, वहीं दूसरे पुत्र डा. संजय वर्मा लोकप्रिय अस्पताल में चिकित्सक हैं। तीसरे पुत्र डा. विकास वर्मा दिल्ली में रहते हैं और गुरुग्राम स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी के वाइस चेयरमैन हैं।
तिजोरी में थे 1.5 लाख के जेवर, 30 हजार का कैश
मेरठ । सर्राफ देवेंद्र वर्मा की तिजोरी यदि खुल जाती तो बदमाश सोना-चांदी के आभूषणों के अलावा नकदी भी लूट ले जाते। तिजोरी में करीब 1.5 लाख के जेवर थे और लगभग 30 हजार रुपये का कैश था। इनमें ज्यादातर जेवर ग्राहकों के हैं, जो ठीक होने के लिए दिए गए हैं। इसके अलावा कुछ चांदी के सिक्के भी थे। विरोध नहीं करते तो बदमाश लूट भी करते और आशंका यह भी थी कि वह दहशत फैलाने के लिए हत्या भी कर सकते थे।