सात घंटे तक नहीं किया जवान का अंतिम संस्कार

झारखंड के गुमला जिले में गोली लगने से हुई छुछाई निवासी जवान की मौत प्रकरण में शनिवार को नया मोड़ आ गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:22 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 09:22 PM (IST)
सात घंटे तक नहीं किया जवान का अंतिम संस्कार
सात घंटे तक नहीं किया जवान का अंतिम संस्कार

मेरठ, जेएनएन। झारखंड के गुमला जिले में गोली लगने से हुई छुछाई निवासी जवान की मौत प्रकरण में शनिवार को नया मोड़ आ गया। पाíथव शरीर लेने थाना पहुंचे परिजनों, ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच मामला शहादत और आत्महत्या को लेकर फंस गया। परिजनों ने पहले पाíथव शरीर ताबूत में नहीं होने पर आपत्ति जताई, फिर आत्महत्या से इंकार करते हुए मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच, मृतक को शहीद का दर्जा सहित पांच मांग पूर्ण होने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही। पाíथव शरीर के गांव पहुंचने पर तो हंगामे के आसार बन गए। निवर्तमान व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा नेता भी मौके पर पहुंचे। सात घंटे बाद तहसीलदार के गांव पहुंचने पर सम्मान के साथ जवान को गार्ड आफ आनर देने के बाद अंतिम संस्कार किया गया।

किठौर के छुछाई गांव निवासी सोमपाल 38 पुत्र ब्रहम सिंह झारखंड में गुमला जिले के बनारी पिकेट में सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर तैनात थे। गुरुवार रात अपनी ही बैरक के सिपाही के हथियार से गोली लगने से उनकी मौत हो गई। सैन्य अधिकारियों ने रात में ही स्वजनों को खुदकुशी की जानकारी दी। शुक्रवार दोपहर को जवान का पाíथव शरीर लेकर एक हेड कांस्टेबल दिल्ली के लिए रवाना हुआ। इसके बाद दिल्ली से सीआरपीएफ की प्लाटून पाíथव शरीर लेकर शनिवार तड़के करीब 2:30 बजे किठौर थाना पहुंची। 3:00 बजे जवान के परिजन व ग्रामीण भी थाना पहुंच गए। यहां सैनिक का पाíथव शरीर बिना ताबूत देख उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने बेटे को शहीदों की तरह ताबूत में नहीं लाने पर आपत्ति जताई तो मौजूद सीआरपीएफ इंस्पेक्टर ने अधिकारियों के हवाले से जवान को शहीद का दर्जा नहीं दिए जाने की जानकारी दी। इस पर बात बढ़ी और दिन निकलने के साथ थाने पर ग्रामीणों की भीड़ एकत्र होने लगी। स्थिति को भांपते हुए इंस्पेक्टर किठौर ने ग्राम प्रधान गुड्डू समेत गणमान्य लोगों को समझाया। इसके बाद पाíथव शरीर गांव लाया गया।

-ग्रामीणों में प्रशासन की लापरवाही को लेकर आक्रोश

पाíथव शरीर घर पहुंचने पर गांव में आक्रोश फैल गया। ग्राम प्रधान, स्वजनों सहित ग्रामीणों का कहना था कि सैन्य अधिकारियों द्वारा कही जा रही सुसाइड की बात बिल्कुल गलत है। ग्रामीणों ने सैनिक की मौत की निष्पक्ष जांच, मृतक को शहीद का दर्जा, परिवार को एक करोड़ रुपए की आíथक मदद, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ डीएम या किसी सक्षम अधिकारी को मौके पर बुलाने की मांग की। दोपहर लगभग 12 बजे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर गांव पहुंचे। दोनों जनप्रतिनिधियों ने डीएम के बालाजी, एसडीएम कमलेश कुमार को फोन कर मौके पर पहुंचने को कहा। स्थिति बिगड़ने की आशंका का हवाला भी दिया, लेकिन अधिकारियों ने किसान महापंचायत में होने की बात कहते हुए तहसीलदार अजय कुमार उपाध्याय और सीओ ब्रजेश सिंह को मौके पर भेजा। जिस पर दोनों जन प्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन से नाराजगी जताई। यथासंभव आíथक मदद, पीड़ित परिवार को पेंशन और एक सदस्य को नौकरी के आश्वासन के बाद दोपहर शाम करीब 3:00 बजे सम्मान के साथ सैनिक का उनके खेत में अंतिम संस्कार किया गया। स्वजन ने उठाए सवाल

सीमा प्रधान और कुलविदर के समक्ष स्वजनों ने सोमपाल की मौत पर सवाल उठाने शुरु कर दिए। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी ड्यूटी के दौरान सोमपाल के पास हथियार नहीं था। दूसरे साथी के हथियार से गोली लगी है अगर यह हकीकत है तो साथी ने उसे हथियार क्यों दिया। सच्चाई का राजफाश होना चाहिए। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक दिनेश खटीक के गांव नहीं पहुंचने पर भी नाराजगी जताई। सैनिक वेलफेयर फंड से मिली 50 हजार की रकम को उन्होंने नाकाफी बताया।

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