विश्व में संस्कृति, सभ्यता व धर्म का बोध कराएंगी वाटिकाएं

हस्तिनापुर के धाíमक व पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पौधारोपण में छह प्रकार की वाटिकाएं बनाई गईं। जिसमें धाíमक विभिन्न संस्कृति कालों से जुड़े पौधों का रोपण किया गया। हस्तिनापुर रेंज में चार हेक्टेअर भूमि पर 108 प्रजातियों के पौधे रोपित किए गए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:03 AM (IST)
विश्व में संस्कृति, सभ्यता व धर्म का बोध कराएंगी वाटिकाएं
विश्व में संस्कृति, सभ्यता व धर्म का बोध कराएंगी वाटिकाएं

जेएनएन, मेरठ। हस्तिनापुर के धाíमक व पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पौधारोपण में छह प्रकार की वाटिकाएं बनाई गईं। जिसमें धाíमक, विभिन्न संस्कृति, कालों से जुड़े पौधों का रोपण किया गया। हस्तिनापुर रेंज में चार हेक्टेअर भूमि पर 108 प्रजातियों के पौधे रोपित किए गए।

ये है वाटिकाओं का महत्व

-हरिशंकरी वाटिका-हरिशंकरी का अर्थ है विष्णु और शंकर की छायावली। हिदू मान्यता के अनुसार पीपल को विष्णु, बरगद को शंकर व पिलखन या पाकड को ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। इसलिए इन पौधों का रोपण करना परोपकारी कार्य है। ये तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित होकर व तीनों वृक्षों के तने विकसित होने पर एक तने के रूप में दिखाई देते है।

-नवग्रह वाटिका-

भारतीय ज्योतिष में नवग्रह की मान्यता है। जिसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु हैं। जिसमें प्रथम सात तो पिडिय ग्रह है और अंतिम दो छाया ग्रह है। इन नक्षत्रों का स्थिति अनुकूल मनुष्यों पर प्रभाव पड़ता है। नवग्रह में शमि, कुश, ढाक, आक, लठजीरा, पीपल, खैर, दूब, गूलर के पौधे शामिल है। -धन्वंतरि वाटिका -

इस वाटिका में आंवला, अशोक, नीम, अर्जुन, बेल, जामुन, मोलश्री, मीठी नीम, कचनार, अमलताश, निर्गुडी, अडुसा, हरसिगार, गुडहल, गुलाब, पपीता, गिलोय, सतावरी, तुलसी, नागरमोथा, अदरक, हल्दी, केला, अश्वगंधा, धृतकुमारी, ब्रहमी, भुंई, आंवला, पुनर्नवा, हेड व बेहडा शामिल है। धनवन्तरी वाटिका का सीधी सीधा संबंध आयुर्वेद से है। जो प्राचीन ग्रथों में वृणित है। -नक्षत्र वाटिका-

इस वाटिका में कुचिला, आंवला, गूलर, जामुन, खैर, शीशम, बांस, पीपल, नागकेसर, बरगद, ढाक, पापक समेत 27 पौधों का रोपण किया जाता है। जिस तरह से धरती के ऊपर आकाश को 27 बराबर भागों में बांटा गया है। हर एक भाग को एक नक्षत्र कहते है। इन नक्षत्रों का नाम आयुर्वेदिक, पौराणिक व ज्योतिषीय व तांत्रिक ग्रंथों में देखने को मिलता है। -तीर्थंकर वाटिका -

इस वाटिका में वट, चितवन, साल, चीड़, सीरस, बहेडा, कदम्ब, देवदार, साल समेत 24 पौधे रोपित किए जाते है। जो जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का रूप माना गया है। -पंचवटी वाटिका -

पंचवटी में पीपल, बरगद, बेल, सीता अशोक, आंवला का रोपण किया जाता है। इनका संबंध मनुष्य की पांचों इंद्रियों से है।

डीएफओ मुजफ्फरनगर-मेरठ सूरज का कहना है कि रविवार को रोपित की गई छह वाटिकों का अपना अध्यात्मिक, धाíमक, पौराणिक व आíथक महत्व है। सभी वाटिकाएं हिदू धर्म व संस्कृति से जुड़ी हैं। रोपित किए गए पौधे भविष्य में औषधि, फल, फूल आदि के साधन बनेंगे।

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