गांवों की असल सरकार है जिला पंचायत
त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी महत्वपूर्ण होता है।
मेरठ,जेएनएन। त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए सियासी लोगों के साथ ही वोटरों की नजर जिला पंचायत के प्रत्याशी से लेकर अध्यक्ष पद तक लगी है। आइये जाने जिला पंचायत की गांव-देहात के विकास में क्या भृूमिका हैं।
पंचायती राज व्यवस्था में सबसे ऊपरी संस्था जिला पंचायत (जिला परिषद) है। त्रिस्तरीय पंचायती राज अधिनियम के तहत जिला पंचायत को काफी अधिकार प्रदान किए गए हैं। नियमानुसार ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत की विकास योजनाओं को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी जिला पंचायत के जिम्मे ही है। जिला पंचायत ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समिति की मूल नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन का काम करती है। नियमों और अधिकार की बात करें तो जिला परिषद एक तरह से गांवों की मुख्य सरकार ही होती है। जिसके नियंत्रण में ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्र पंचायत भी होती है। ऐसे होता है गठन
जनपद में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए 33 वार्ड है। चुनाव जीतने वाले सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मतदान करते हैं। अध्यक्ष का चयन होने के बाद माह में गांवों के विकास को लेकर एक बैठक होना अनिवार्य है। विकास की राह बनाते हैं सदस्य
जनपद के 479 गांवों को 33 वार्डो में विभाजित कर जिला पंचायत का गठन किया गया है। इन्हीं 33 वार्ड से चुने गए सदस्यों के कंधों पर गांव विकास की जिम्मेदारी होती है। सदस्य ही विकास के प्रस्ताव बनाकर जिला पंचायत सदन में प्रस्तुत करते हैं। चर्चा के साथ तर्क-वितर्क के बाद प्रस्ताव पारित या खारिज होता है। जिला पंचायत के कार्य
- गांवों में विकास कार्याें को कराना।
- गांवों पर नियंत्रण रखना।
- पंचायत की योजनाओं को समन्वित करना।
- योजनाओं को लेकर राज्य सरकार को सलाह देना।
- ग्रामीण क्षेत्र में पौधारोपण करना।
- सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण
-गरीबी उन्मूलन को लेकर अभियान चलाना।