मेरे मुल्क के मौजूदा हालात बद से बदतर, सहारनपुर में अफगानिस्तान के नागरिक ने बयां किया दर्द
अफगानिस्तान निवासी अहमद नवेद कुशानी देवबंद में दौरा-ए-हदीस की पढ़ाई करने के लिए आए हैंं। कुशानी ने बताया कि तालिबान हुकूमत को किसी भी देश की मान्यता न मिलने के कारण वहां के हालात और भी चिंताजनक हो गए हैं।
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात अच्छे नहीं है। वहां रह रहे अफगानियों का भविष्य अधर में है। अधिकांश अफगानी नागरिक वहां से निकलने की फिराक में हैं। यह कहना है देवबंद आए अफगानी परिवार के एक सदस्य का। उनके माता-पिता, भाई और हाल ही में भारत पहुंचे हैं, लेकिन पत्नी और परिवार के बहुत से लोग अभी काबुल में ही हैं।
अफगानिस्तान में नहीं है रोजगार, व्यवसाय भी ठप पड़े
शनिवार को देवबंद में एलआइयू आफिस आए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के मूल निवासी अहमद नवेद कुशानी ने बताया कि तालिबान हुकूमत को किसी भी देश की मान्यता न मिलने के कारण वहां के हालात और भी चिंताजनक हो गए हैं। वहां रोजगार नहीं हैं। व्यवसाय भी ठप पड़े हैं। नवेद ने बताया कि उन्होंन लखनऊ स्थित मदरसा नदवा से पढ़ाई की है। वह देवबंद में दौरा-ए-हदीस की पढ़ाई करने के लिए आए हैं। बताया कि पिता पाइंदा मोहम्मद कुशानी, मां कैंडी कुशानी, भाई अहमद हामिद कुशानी और बहन कुदसिया कुशानी हाल ही में भारत पहुंचे हैं। फिलहाल वह परिवार के साथ दारुल उलूम वक्फ क्षेत्र में एक किराये के मकान में रह रहे हैं।
पत्नी और खानदान के कई लोग काबुल में फंसे
नवेद कुशानी ने बताया कि उनकी पत्नी समेत खानदान के बहुत से लोग अभी भी काबुल में ही हैं। बताया कि वह फिलहाल आनलाइन शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। इससे जो कुछ पैसे मिलेंगे उनसे ही परिवार का भरण पोषण होगा। बताया कि उनके माता पिता बीमार हैं। उधर, अफगानी नागरिक अहमद नवेद ने मकान स्वामी जहीर अहमद और उनके बीच हुए किरायानामा को एलआइयू ऑफिस में दाखिल किया।