Historic Sites: बिजनौर के ऐतिहासिक स्थलों की जल्‍द ही बदलेगी सूरत, बनेंगे टूरिस्‍ट स्‍पॉट, ब्रिटिश कालीन हैं यादें

लोक निर्माण विभाग ने बिजनौर में नवाब नजीबुद्दौला के किले कण्व ऋषि आश्रम और राजा का ताजपुर के चर्च को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील किए जाने की कार्ययोजना शासन को भेजा जा चुकी है। मंजूरी मिली तो इन्हें ऐतिहासिक स्थल के तौर पर बनाया जाएगा।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 08:49 AM (IST)
Historic Sites: बिजनौर के ऐतिहासिक स्थलों की जल्‍द ही बदलेगी सूरत, बनेंगे टूरिस्‍ट स्‍पॉट, ब्रिटिश कालीन हैं यादें
बिजनौर के ग्राम रावली स्थित कण्व ऋषि आश्रम

बिजनौर, बिरेंद्र देशवाल। ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन के तौर पर विकसित किए जाएंगे। इसकी रुपरेखा तैयार हो चुकी है। लोक निर्माण विभाग ने नवाब नजीबुद्दौला के किले, कण्व ऋषि आश्रम और राजा का ताजपुर के चर्च को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील किए जाने की कार्ययोजना शासन को भेजा जा चुकी है। मंजूरी मिली, तो इन्हें ऐतिहासिक स्थल के तौर पर बनाया जाएगा। इससे जिले में पर्यटन को नई गति मिलेगी। जिले का नाम पर्यटन के नक्शे चमकेगा।

नवाब नजीबुद्दौला के किले की सुल्ताना डाकू के किले के तौर पर है पहचान

सौ साल पहले नजीबाबाद-कोटद्वार क्षेत्र में सुल्ताना डाकू का खौफ था। बिजनौर से लेकर कुमाऊं तक उसका राज चलता था। जनता में उसकी राबिन हुड की छवि थी। वह अमीरों को लूटकर गरीबों को धन बांटता था। सुल्ताना डाकू ने नजीबाबाद के ग्राम महावतपुर बिल्लौच में स्थित नवाब नजीबुद्दौला के किले पर कब्जा कर लिया था। अब यह किला खंडहर में तब्दील हो गया। वर्तमान में इस किले की पूरे देश में सुल्ताना डाकू के किले के तौर पर इसकी पहचान है। इसके विकसित करने की संभावना है। 14 दिसंबर 1923 में अंग्रेजों ने सुल्ताना को गिरफ्तार किया था। नैनीताल की अदालत में सुल्ताना डाकू पर मुकदमा चला और उसे फांसी की सजा सुनाई गई। 1956 में सुल्ताना डाकू पर फिल्म भी बन चुकी है।

कण्व ऋषि आश्रम

कण्व ऋषि का आश्रम बिजनौर मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर रावली के पास स्थित है। कण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इसी आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की प्रणयस्थली और राजा भरत की क्रीड़ा स्थली है। समय-समय पर इस पौराणिक स्थल को विकसित करने की मांग उठती रही है, किंतु अभी तक कण्व ऋषि की स्थिति में अभी तक कोई सुधार नहीं है। डीएम उमेश मिश्रा की पहल पर अब कण्व ऋषि के आश्रम की सूरत बदलने के लिए कार्ययोजना तैयार कर मंजूरी के लिए भेजी गई है।

ब्रिटिश कालीन है चर्च का इतिहास

नूरपुर थाना क्षेत्र के ताजपुर से दो किमी दूर एशिया का मशहूर इस गिरजाघर का निर्माण 1913 में राजा शिवनाथ सिंह और उसके भाई श्याम सिंह ने अपनी ईसाई पत्नियों मारग्रेट मैरी और विलियन मैरी के लिए कराया था। बाद में यह दोनों भाई ईसाई बन गए थे। इन दोनों को इसी गिरजाघर में दफनाया गया था। क्रिसमस पर हर साल यहां मेला लगता है। चर्च में देश-विदेश के ईसाई समुदाय के अलावा अन्य संप्रदाय के लोग भी आते हैं।

पीली डैम पर बनेगा वाटर स्पोट्र्स

अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में स्थित पीली बांध को प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप विकसित किया जाएगा। सिंचाई विभाग ने यह बांध 1966 में बनवाया था। यह एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध हैं। इस बांध पर वाटर स्पोट्र्स बनाए जाने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस योजना के तहत बांध के टाप पर एक से आठ किमी तक इंटरलाङ्क्षकग टाइल्स लगाए जाने के लिए सरकार ने 487.39 लाख स्वीकृति दे दी है। बांध में मोटर बोट, हाट एयर बैलून, स्पीड बोड, जेट स्की, वाटर सर्फिंग को विकसित किया जाएगा। लोनिवि के अधिशासी अभियंता सुनील सागर ने बताया कि इन स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील किए जाने के प्रस्ताव शासन को भेजे जा चुके है।

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