कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर होगी, हाजिरी सुधारें छात्र
दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में क्षेत्रीय उ'च शिक्षा अधिकारी राजीव गुप्ता ने पाठकों के सवालों के दिए जवाब।
मेरठ। मेरठ और सहारनपुर मंडल के कॉलेजों में पठन-पाठन शुरू हो चुका है। कुछ कॉलेजों में प्रवेश की भी प्रक्रिया चल रही है। उच्च शिक्षण संस्थानों में जहां शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने की चुनौती है, तो दूसरी ओर कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति का संकट है। अब 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य करने के लिए छात्रों पर सख्ती की तैयारी की जा रही है। दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में आए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी (मेरठ और सहारनपुर मंडल) डा. राजीव गुप्ता ने बताया कि कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति 75 फीसद से कम होती है, तो प्रयोगात्मक परीक्षा के अंकों में कटौती की जाएगी। उन्होंने पाठकों के सवालों के जवाब भी दिए। पेश हैं कुछ खास सवाल और उनके जवाब-
-मेरी बेटी ने ओम साई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बागपत से बीटेक किया है। संस्थान से मार्कशीट नहीं दी जा रही है। क्या एफआइआर कराना उचित होगा?
ओमपाल सिंह, बागपत
यह इंस्टीट्यूट डा. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आता है। आप सीधे यूनिवर्सिटी को ईमेल कर सकते हैं। आप उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कॉलेज से सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगी जा सकती है।
-एडेड और राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त हैं। इससे पढ़ाई पर असर पड़ रहा है, रिक्त पद कब तक भरे जाएंगे?
महावीर- फलावदा, राजवीर सिंह- मेरठ, रमेश त्यागी- सरधना, सत्यदेव- सहारनपुर
एडेड कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। राजकीय और एडेड कॉलेजों में जब तक शिक्षकों की स्थायी व्यवस्था नहीं हो जाती, अस्थायी व्यवस्था भी की जा रही है। -बेटे का नाम बीएससी नर्सिग की मेरिट में आया था। लेकिन एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज ने प्रवेश नहीं दिया?
शकील अहमद, फलावदा
अगर आपके बेटे का नाम मेरिट में आया था, तो ऑफर लेटर लेकर आप विश्वविद्यालय में प्रवेश समन्वयक से मिल सकते हैं। अगर मेरिट में नाम है तो प्रवेश मिल सकता है।
- छात्र कॉलेजों में पढ़ने नहीं जा रहे हैं। उसकी जगह ट्यूशन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसे कैसे रोका जा सकता है?
मांगेराम- मवाना, संदेश- बड़ौत, प्रदीप कर्णवाल- मेरठ, रमेशदत्त शर्मा- बागपत
कॉलेज न आने और ट्यूशन जाने के कई कारण हैं। अधिकांश छात्र पढ़ाई के साथ किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, जिसकी वजह से ट्यूशन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसके अलावा शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका भी ऐसा नहीं है जिससे छात्र रुचि ले सकें। छात्र और शिक्षक दोनों को यहां बदलना होगा। शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स कराने की जरूरत है।
- डिग्री कॉलेजों पर सीधे तौर पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा विभाग शिकंजा नहीं कस पाता है। विभाग के पास अधिकार न होने से कार्य करने में अड़चन आती है?
विजय सिंह- परतापुर
उच्च शिक्षा अधिकारी के तौर पर दंड या डंडे से बदलाव करने की कोशिश नहीं करता। दोनों के सहयोग से ही शिक्षा में सुधार किया जा सकता है। यह सुधार स्वत: होना चाहिए।
- शिक्षा का स्तर गिर रहा है, आरके कॉलेज किठौर में कभी पढ़ाई होती है तो कभी नहीं। शिक्षक भी नहीं आ रहे हैं।
अजहर, ललियाना
कॉलेज के प्राचार्य से इसके विषय में बात करेंगे। बाकी आप मेहनत से पढ़ाई करें, सफलता के लिए मेहनत और धैर्य के साथ पढ़ाई जरूरी है।
- क्या शासन से बीटीसी का कोर्स बंद होने वाला है?
सुरेश शर्मा, बड़ौत
शासन की ओर से अभी ऐसी कोई सूचना नहीं है, शिक्षक बनने के लिए बीटीसी और बीएड जैसे कोर्स अभी चलेंगे।
- आरजी कॉलेज में योग डिप्लोमा का कोर्स चल रहा है। इसमें यूजीसी के मानक के अनुसार प्रशिक्षक नहीं हैं। प्रशिक्षण की भी कोई व्यवस्था नहीं है। शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
पूजा चौधरी, मेरठ
योग डिप्लोमा अभी नया कोर्स है इसलिए हो सकता है कि कुछ जगह प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था नहीं हो पाई हो। इस कोर्स की डिमांड है। कौशल विकास के अंतर्गत भी इसमें रोजगार मिल सकता है। इस संबंध में कॉलेज प्राचार्य से बात करेंगे।
जागरण के पांच सवाल
- कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति कम है, कैसे सुधारेंगे?
इस बार दोनों मंडलों के कॉलेजों के बाहर यह नोटिस लगाया जाएगा कि 75 फीसद से कम उपस्थिति होने पर वह परीक्षा से वंचित हो सकते हैं। विवि को इसके लिए पत्र लिखा जा रहा है। साथ ही मौखिक और प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान कम उपस्थिति होने पर अंकों की कटौती कराने की योजना है। छात्रों को ऐसे प्रोजेक्ट दिए जाएंगे, जिससे वह कॉलेज में अपनी हाजिरी सही रखें।
- कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है?
राजकीय कॉलेजों में 10 फीसद और एडेड में करीब 40 फीसद सीटे रिक्त हैं, सरकार सभी पदों को भरने का प्रयास कर रही है। फिलहाल पठन-पाठन पर असर न पड़े, इसके लिए रिटायर्ड शिक्षकों को भी रखा जा रहा है।
-प्राइवेट कॉलेजों में मानक के हिसाब से शिक्षक नहीं हैं?
विश्वविद्यालय से मिलकर अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि मानक से कम शिक्षक होने पर प्राइवेट कॉलेजों की संबद्धता खत्म की जाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
- प्राइवेट कॉलेज मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे हैं, शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती?
ज्यादातर प्राइवेट कॉलेज विभिन्न सुविधाओं के नाम पर फीस वसूलते हैं। विवि से हर कोर्स की फीस निर्धारित है। कई बार शिकायत करने वाला सामने नहीं आता है, जिसकी वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती है। नए सत्र में फीस को लेकर सभी कॉलेजों को निर्देश दिए गए हैं। दोबारा से इसे भेजा जाएगा।
-डिग्री कॉलेजों में प्लेसमेंट, करियर काउंसिलिंग की उचित व्यवस्था नहीं है?
कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल को सक्रिय करने के लिए कहा गया है। अभी कमिश्नर और अपर आयुक्त से इसे लेकर मीटिंग हुई है। सभी कॉलेजों में छात्रों से आइडिया लेकर अक्टूबर में प्रदर्शित किया जाएगा। उसमें जो आइडिया स्टार्टअप के लिए उपयोगी होगा। उसे प्रोत्साहित किया जाएगा।