मुल्क के मौजूदा हालात से लें सबक : शहर काजी

रमजान के तीसरे जुमा की नमाज पर उलेमा ने रमजान की फजीलत बयां करने के साथ मुल्क के सियासी बदलाव पर भी चर्चा की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 06:23 AM (IST)
मुल्क के मौजूदा हालात से लें सबक : शहर काजी
मुल्क के मौजूदा हालात से लें सबक : शहर काजी

मेरठ। रमजान के तीसरे जुमा की नमाज पर उलेमा ने रमजान की फजीलत बयां करने के साथ मुल्क के सियासी बदलाव पर भी चर्चा की। भाजपा के भारी बहुमत से जीतने के बाद उन्होंने मुल्क की स्थितियों का आकलन किया और कौम को हिदायत देने के साथ-साथ हालात से सबक लेने का भी मशविरा दिया।

कोतवाली स्थित शाही जामा मस्जिद में तकरीर करते हुए शहर काजी प्रो. जैनुस साजिदीन ने कहा कि इस समय मुल्क के हालात हमारे लिए काबिल-ए-इमदाद (अनुकूल) नहीं हैं लेकिन कुराने करीम ऐसे हालात में भी सब्र से काम लेने की सीख देती है। गौर करने की जरूरत है कि ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर एक को अपने मजहब पर अमल करने का मौका मिलना चाहिए और भेदभाव न किया जाए। शहर काजी ने कहा कि सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है। हम खुद को इतना मुफीद बना लें कि हमारी जरूरत न सिर्फ मुल्क को बल्कि पूरी दुनिया को रहे।

इससे पहले कारी शफीकुर्रहमान ने तकरीर में कहा कि रमजान के आखिरी अशरे में खुदा से खूब दुआ करें। बिना कोई सियासी जिक्र किए उन्होंने कहा, पूरा निजाम अल्लाह का बनाया हुआ है, भले ही उस पर बैठ कोई जाए। अल्लाह की ही हुकूमत चलती है, लिहाजा ईमान वालों को खौफजदा होने की जरूरत नहीं।

मजारों पर मुसलमान जाते हैं केवल 10 प्रतिशत

कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि अगर हम सुधरे हुए होंगे तो सारे लोग कदमों में पड़ेंगे। नमाजियों को संबोधित करते हुए कहा, ये लोग तुम्हारे मुर्दो को पूजते हैं। तुम्हारे बुजुर्गो की मजारों पर मुसलमान 10 प्रतिशत जबकि ये लोग (इशारा दूसरे संप्रदाय की तरफ) 90 प्रतिशत जाते हैं, क्योंकि उन बुजुर्गो का किरदार बुलंद था। सवाल किया, तुम भी तो उन्हीं के नामलेवा हो, फिर तुम्हारे साथ ऐसी दुश्मनी क्यों? इसका कारण यह है कि तुमने अल्लाह से दुश्मनी कर रखी है। उससे दोस्ती करोगे तो सारी दुनिया तुम्हारी दोस्त बन जाएगी।

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::: ..तो यह भी मोदी के भक्त हो जाएंगे

कारी शफीकुर्रहमान ने कहा, रमजान में हर मस्जिद में एतकाफ का एहतमाम करना चाहिए। मस्जिदों में एतकाफ में फिजूल लोगों को नहीं, नौजवानों को बैठाएं। 24 घंटे मस्जिद में गुजारें। एतकाफ के दौरान बच्चों को मोबाइल न देने की अपील की। कहा, बच्चे अगर मोबाइल लेकर बैठेंगे तो मोदीजी के भक्त बन जाएंगे। कारी ने कहा, अगर किसी के पास 26 हजार रुपये हैं तो उसपर जकात का जिम्मा है। जिस माल की जकात अदा हो जाती है, उसकी हिफाजत अल्लाह खुद करता है। शहर काजी प्रोफेसर जैनुस साजिदीन ने कहा कि मां बेटा, बाप, बेटी को छोड़कर जिनकी जिम्मेदारी आप पर नहीं है, जैसे-ताया, चाचा, खाला, चाची आदि को सबसे पहले जकात देनी चाहिए। जकात चुपके से दें। उन्होंने कहा कि रमजान में अल्लाह बहाने ढूंढता है कि किस तरह वह अपने बंदो के गुनाहों को माफ कर सके। तकरीर के बाद नमाज अदा की गई।

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