Vat Savitri Puja: शीतलता और शांति देने वाले बरगद को रोपने का लें संकल्प, वट सावित्री व्रत के साथ ही शनि जयंती भी है 10 जून को
वट सावित्री व्रत पर विद्वानों का मत है कि टहनी की पूजा करना उचित नहीं बरगद के वृक्ष की ही पूजा करनी चाहिए। बरगद का जो पौधा आप द्वारा रोपा जाएगा वह भविष्य में न सिर्फ पूजा के लिए बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी करेगा।
मेरठ, जेएनएन। वट सावित्री व्रत पर पूजन के साथ बरगद का पौधा रोपने के लिए महिलाएं उत्साहित हैं। विद्वानों का मत है कि टहनी की पूजा करना उचित नहीं है, बरगद के वृक्ष की ही पूजा करनी चाहिए। बरगद का जो पौधा आप द्वारा रोपा जाएगा, वह भविष्य में न सिर्फ पूजा के लिए उपलब्ध होगा बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी करेगा। आगामी 10 जून को बड़ अमावस्या के साथ शनि देव का प्राकट्य दिवस भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों के किनारे बरगद के प्राचीन वृक्ष भी दिख जाएंगे। किसान और पथिक इसी बरगद की शीतल घनी छांव में आराम करते हैं। जब हम दौड़ते हैं या कठिन श्रम करते हैं तो शरीर में आक्सीजन की खपत बढ़ जाती है। आक्सीजन हमें सदा मिलती रहे, इस हेतु सामान्य वृक्ष की तुलना में बरगद पांच गुना ज्यादा आक्सीजन छोड़ता है। ऐसे बहु उपयोगी वृक्ष का पौध बड़ अमावस्या पर रोपने का संकल्प लें।
आस्था का प्रतीक है मटौर का प्राचीन वट वृक्ष
मटौर गांव में झारखंडी महादेव के नाम से प्राचीन मंदिर है। मंदिर के पास ही बरगद और पीपल के विशाल पेड़ हैं। दौराला और मटौर के आने जाने के मार्ग में स्थित होने के कारण बरगद की छांव तले ग्रामीण विश्राम करते देखे जा सकते हैं। विहिप के पूर्व प्रांत प्रवक्ता शीलेंद्र चौहान बताते हैं कि शिवरात्रि पर हजारों कांवडि़ए मंदिर में जल चढ़ाते हैं और बरगद के वृक्ष पर हरिद्वार से लाया गंगाजल अॢपत करते हैं। गांव निवासी 80 साल के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके बचपन में भी पेड़ ऐसा ही था। पेड़ की छांव में शीतलता के साथ ही आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।
हम संकल्प लेते हैं कि...
घर के आसपास बरगद का पेड़ नहीं है। पूजा करने के लिए लगभग एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव के कन्या इंटर कालेज के परिसर में दस जून को बरगद का पौधा लगाउंगी।
- अर्चना चौहान, पूर्व प्रधान दुल्हैड़ा
बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। इसे लगाकर हम स्वयं और दूसरी महिलाओं के लिए पूजा का माध्यम बन सकते हैं। इसके साथ देश के
प्रति आस्था का प्रदर्शन कर सकते हैं।
- अनीता जंडियाल, सेक्टर आठ शास्त्रीनगर
गांव में बरगद का एक पेड़ था। उसका पूजन हर बड़ अमावस्या पर करते थे। पिछले वर्ष वह आंधी की भेंट चढ़ गया। इस बार बड़ अमावस्या पर घेर में पड़ी खाली जगह बरगद का पौधा लगाउंगी।
- पिंकी चौहान, पल्हेड़ा