150 करोड़ वसूलने वाला टेबलेट कंपनी का निदेशक गिरफ्तार

करीब 3500 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक संजय भाटी और आइटीवी के डायरेक्टर बिजेंद्र हुड्डा के साथ मिलकर 150 करोड़ों की हेराफेरी करने वाले पेंटल टेक्नोलाजी टेबलेट कंपनी के निदेशक दिनेश पांडेय को शुक्रवार को दुबई से लौटते समय दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 12:15 AM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 12:15 AM (IST)
150 करोड़ वसूलने वाला टेबलेट कंपनी का निदेशक गिरफ्तार
150 करोड़ वसूलने वाला टेबलेट कंपनी का निदेशक गिरफ्तार

मेरठ, जेएनएन। करीब 3500 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक संजय भाटी और आइटीवी के डायरेक्टर बिजेंद्र हुड्डा के साथ मिलकर 150 करोड़ों की हेराफेरी करने वाले पेंटल टेक्नोलाजी टेबलेट कंपनी के निदेशक दिनेश पांडेय को शुक्रवार को दुबई से लौटते समय दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया। बाइक बोट घोटाले के बाद वह सिंगापुर भाग गया था। वहां से दुबई चला गया आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की तरफ से दिनेश पांडेय के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था।

एएसपी राम सुरेश यादव ने बताया कि मूलरूप से दिल्ली के गांधीनगर निवासी दिनेश पांडेय पुत्र राजमनी पांडेय स्वजन के साथ नोएडा के सेक्टर 36 में रहता है। वर्ष 2013 से वह जीआइपीएल कंपनी के डायरेक्टर बिजेंद्र हुड्डा के संपर्क में था। 2017 से उसने बिजेंद्र हुड्डा के साथ रियल स्टेट में काम शुरू किया। संजय भाटी और बिजेंद्र हुड्डा के लगभग 150 करोड़ रुपये दिनेश पांडेय की रियल एस्टेट कंपनी में लगे हैं। इस रकम की कोई लिखा पढ़ी नहीं हुई। इसी बीच संजय भाटी, बिजेंद्र हुड्डा, बीएन तिवारी, वीके शर्मा और दिनेश पांडेय का आपस में तालमेल हो गया। तभी जीआइपीएल के निवेशकों की रकम अन्य कंपनियों के खातों में जमा कर ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी। उन्होंने विजय शर्मा से सांठगांठ कर नोबेल बैंक में विभिन्न कंपनियों के खाते खुलवाए और जीआइपीएल एवं इंडीपेंडेंट टीवी और अन्य सहयोगी कंपनियों के खातों में रकम हस्तांतरित की। वहां से विभिन्न छोटी कंपनियों, चेरिटेबल संस्थाओं के खातों में रकम हस्तांतरित कर अवैध लाभ हासिल किया। दिनेश पांडे ने अपनी कंपनी सामग इंडस्ट्री, सामग रियलटी प्रा. लि. जेनिथ टाउनशिप प्रा.लि. फायर टाउनशिप प्रा.लि. और सागाशिप मैनेजमेंट प्रा. लि. कंपनियों में रकम का लेन-देन किया। दिनेश पांडेय ने कंपनी से 150 करोड़ की रकम ली थी। अभी तक 60 करोड़ ही कंपनी को वापस कर पाए हैं। इसी तरह से कंपनी की रकम संजय भाटी, सचिन भाटी, बिजेंद्र हुड्डा, बीएन तिवारी और अन्य रिश्तेदारों एवं निदेशकों द्वारा संचालित कंपनियों में जमा की गई। एएसपी ने बताया कि जब से मुकदमा कायम हुआ था तब से दिनेश पांडेय विदेश में था।

मेरठ के सागा हैबिटेट प्रोजेक्ट में भी लगाई रकम

दिनेश पांडेय ने मेरठ के रुड़की रोड स्थित सागा हैबिटेट प्रोजेक्ट, अरनी विवि हिमाचल, एपी गोयल ट्रस्ट शिमला में मोटी रकम लगाई थी। साथ ही हापुड़ के पिलखुवा में 15 एकड़ जमीन भी खरीदी थी। एएसपी ने बताया कि दिनेश पांडेय की तरफ से लगी मोटी रकम का संचालन कौन कर रहा है। उसकी भी पड़ताल की जा रही है।

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर उठने लगे सवाल

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर भी सवाल उठने लगे हैं। आरोप यहां तक लगाए जा रहे हैं कि ईओडब्ल्यू की टीम के संपर्क में घोटाला करने वाले कई लोग हैं। उसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। सिर्फ ऐसे लोगों की धरपकड़ की जा रही है, जिनसे मिलीभगत नहीं हो पा रही। अभी ईओडब्ल्यू की टीम मेरठ में छिपाई गई मर्सिडीज भी बरामद नहीं कर पाई है। एएसपी राम सुरेश यादव का कहना है कि ईओडब्ल्यू निष्पक्ष विवेचना कर रही है।

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