सहारनपुर में गोमूत्र से गन्ने की फसल, बना रहे जैविक गुड़, ऐसे किया लाभ दोगुना

गन्ना किसानों के लिए गांव फतेहपुरचंद के किसान दीपक चौधरी ने मिसाल पेश की है। वह रासायनिक उर्वरकों से गन्ने की पैदावार बढ़ाने में जुटे हैं। पेस्टीसाइड व रासायनिक खाद को दरकिनार कर प्राकृतिक खेती से दोगुना लाभ ले रहे हैं।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 07:00 AM (IST)
सहारनपुर में गोमूत्र से गन्ने की फसल, बना रहे जैविक गुड़, ऐसे किया लाभ दोगुना
लोगों को खेती के तरीके के बारे में बताते दीपक चौधरी।

[प्रवीण कुमार], सहारनपुर। गन्ना किसानों के लिए गांव फतेहपुरचंद के किसान दीपक चौधरी ने मिसाल पेश की है। वह रासायनिक उर्वरकों से गन्ने की पैदावार बढ़ाने में जुटे हैं। पेस्टीसाइड व रासायनिक खाद को दरकिनार कर प्राकृतिक खेती से दोगुना लाभ ले रहे हैं। किसान ने 40 बीघा जमीन में गोमूत्र से गन्ने की फसल उगा रखी है। अपना कोल्हू भी लगा दिया है। उनके यह उत्पाद देशभर में बाजार से दोगुने दाम पर बिक रहे हैं।

गंगोह ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत फतेहपुरचन्द के प्रगतिशील किसान दीपक चौधरी की जैविक खेती में कई उपलब्धियां हैं। गन्ना बेल्ट में गन्ना किसानों के लिए उनका नया प्रयोग काफी कारगर रहा है। पांच साल पूर्व अपनी 60 बीघा जमीन में गेहूं, सब्जियों और सरसों की जैविक खेती की। अब 40 बीघा जमीन में गोमूत्र से गन्ने की जैविक खेती कर रहे हैं।

दीपक का कहना है वह कुछ भी बाजार से नही खरीदते। देशी गाय के गोमूत्र से खाद व कीटनाशक तैयार करते हैं। महंगे पेस्टीसाइड व रासायनिक खादों का खर्चा इससे बचता है। जैविक खाद से तैयार फसल सामान्य के मुकाबले दोगुने दामों पर खेत पर ही बिक जाती है। उन्होंने पिछले साल जैविक गन्ने से गुड़ व शक्कर बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया। पहले दूसरों के कोल्हू में गुड़, शक्कर बनवाना पड़ता था, जो महंगा पड़ता था। इस बार कोल्हू भी अपना लगा दिया है। बताया कि वह अन्य किसानों की तरह गन्ना नही बेचते, बल्कि अपने गन्ने से बनी शक्कर 80 रुपये व गुड़ 75 रुपये किलो बेचते हैं। सामान्य गुड़, शक्कर 30-35 रुपये किलो ही बिकता है। स्वादिष्ट व गुणवत्तापूर्ण गुण के शौकीन नोएडा, दिल्ली, करनाल, यमुना नगर, गाजियाबाद आदि के लोग उनके कोल्हू से ही इसे खरीद ले जाते हैं। रोज 50 किलो से लेकर दो कुंतल गुड़ बिक जाता है।

सुरेश पालेकर ने किया था दौरा

जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने वाले महाराष्ट्र निवासी पद्मश्री सुरेश पालेकर 2019 में अपनी टीम के साथ उनके खेतों पर आए थे। दीपक का कहना है, आज नही तो कल किसानों को बिना जहर की खेती करनी होगी। तभी कम लागत आएगी और आय दोगुना होगी। 

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