मेरठ में गन्ना विभाग ने चलाया जागरूकता अभियान, बताया- इन प्रजातियों में लगी बीमारियां कैसे होंगी दूर

पश्चिमी उप्र में गन्ना किसानों को 0238 प्रजाति का बड़ा क्रेज है। गन्ना विभाग का कहना है कि इस प्रजाति में लाल सड़न की बीमारी लग चुकी है। बड़े स्तर पर गन्ने में बीमारी लगने के बाद इसके खराब होने की आशंका है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 08:44 AM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 08:44 AM (IST)
मेरठ में गन्ना विभाग ने चलाया जागरूकता अभियान, बताया- इन प्रजातियों में लगी बीमारियां कैसे होंगी दूर
मेरठ में गन्‍ना किसानों की जागरूकता के लिए चलाया गया कार्यक्रम।

मेरठ, जेएनएन। पश्चिमी उप्र में गन्ना किसानों को 0238 प्रजाति का बड़ा क्रेज है। गन्ना विभाग का कहना है कि इस प्रजाति में लाल सड़न की बीमारी लग चुकी है। बड़े स्तर पर गन्ने में बीमारी लगने के बाद इसके खराब होने की आशंका है। जिसके बाद गन्ना किसानों के लिए विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया है। गन्ना विभाग ने 0118 गन्ना प्रजाति अपनाने की सलाह दी है। मेरठ की नंगलामल चीनी मिल द्वारा माछरा गांव में बसंतकालीन गन्ना बुवाई जागरूकता गोष्ठी व प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। समस्या से उबरने के लिए 'कोसा-238 के साथ भी, कोसा-238 के बाद' नामक गन्ना कृषक जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया गया।

शुक्रवार को उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने माछरा गांव में गन्ना कृषक जागरूकता अभियान का शुभारंभ करते हुए गन्ने की फसल में ड्रिप सिंचाई से खेती करने वाले 21 गन्ना किसानों को प्रशस्ति पत्र व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। मेरठ की नंगलामल चीनी मिल द्वारा माछरा गांव में बसंतकालीन गन्ना बुवाई जागरूकता गोष्ठी व प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में कृषि विज्ञानी डा. विकास मलिक ने बंसतकाल में गन्ने की उन्नतशील खेती के लिए बुवाई की विधि, संतुलित उवर्रक का प्रयोग, सिंचाई जल प्रबंधन व गन्ने की उन्नतशील प्रजातियों की जानकारी दी।

बुवाई से पहले करें गन्ने को बीज उपचारित

माछरा में आयोजित बसंतकालीन गन्ना बुवाई जागरूकता गोष्ठी में कीट विज्ञानी डा. गजे सिंह ने गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग, पोक्का बोइंग रोग की जानकारी देने के साथ गन्ने में समन्वित कीट प्रबंधन के विषय में जानकारी दी। जिला गन्ना अधिकारी डा. दुष्यंत कुमार ने गन्ने गन्ने की बुवाई के लिए बीज स्वयं तैयार करने, गन्ने की बुवाई में चार से पांच फुट के अंतराल पर ट्रेंच विधि से करने व बीज गन्ने के टुकड़ों को थियोफिनेट मिथाइल से करने के साथ अतिरिक्त आय हेतु सहफसली खेती करने की भी सलाह दी। जिला उद्यान अधिकारी आरएस राठौर ने सिंचाई जल की बचत हेतु गन्ने में ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने की सलाह दी गई। 

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