हवा खराब थी..उम्र को पाच साल कम कर गई

प्रदूषण से सास व हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है। पाच साल में लंग्स कैंसर 30 फीसद बढ़ गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 04:30 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 04:30 PM (IST)
हवा खराब थी..उम्र को पाच साल कम कर गई
हवा खराब थी..उम्र को पाच साल कम कर गई

जेएनएन, मेरठ: हवा में मौजूद जहरीले सूक्ष्म कण तबाही मचाने लगे हैं। नई रिपोर्ट के मुताबिक एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से उम्र पाच साल कम हो गई है। स्टेट आफ ग्लोबल एयर-2020 के मुताबिक फेफड़ों की ताकत खत्म हो रही है, साथ ही हार्ट अटैक, ब्रेन अटैक, कैंसर एवं सास के अटैक समेत कई खतरनाक बीमारिया बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर सुधार न हुआ तो तीन दशक में उम्र आधी रह जाएगी। डीजल वाहन, चिमनिया, कचरा दहन, पराली, सड़क के धूलकण और कंस्ट्रक्शन कारोबार प्रदूषण के बड़े स्त्रोत हैं।

एनसीआर की हवा में एक्यूआइ लगातार तीन सौ से चार सौ बना हुआ है। अक्टूबर में ही पीएम 2.5 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम छू चुकी है, जो मानक 60 से आठ गुना है। मनुष्य के बाल के 40वें हिस्से की बीरीकी वाले पीएम 2.5 फेफड़े की झिल्ली पार कर रक्त में पहुंच जाते हैं। ये कण रक्त के साथ बहकर खून की नलियों, दिमाग, पैंक्रियाज और किडनी में पहुंचकर न सिर्फ जलन लाते हैं, बल्कि सास की नलिकाओं में जख्म तक बना देते हैं। हवा में सल्फर और नाइट्रोजन क्रिया कर अम्ल बनाते हैं, जो सास की नलियों में जख्म कर सकते हैं। वायु प्रदूषण से 40 फीसद लंग्स कैंसर बढ़ा, जबकि बड़ी संख्या में लोगों को हार्ट अटैक हो रहा है। दस साल तक प्रदूषित हवा में सास लेने से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं। वायु प्रदूषण की वजह से पैंक्रियाज के काम में बाधा आती है, जिससे शुगर भी बढ़ा है। बच्चों में भी घातक लक्षण उभर रहे हैं।

इनका कहना है

धुंध की वजह से हवा में आक्सीजन की मात्रा कम होने से फेफड़ों पर बोझ पड़ता है। सल्फर, नाइट्रोजन, ओजोन, मोनोआक्साइड व धूलकण दर्जनों बीमारियों की वजह बनते हैं, जिससे उम्र घटती है। अस्थमा व सीओपीडी के मरीजों में सास का अटैक बढ़ता है। प्रदूषण का बच्चों में भी घातक असर नजर आ रहा है।

डा. राजकुमार, सीएमओ

पीएम 2.5 एवं पी 10 में सिलिकान, बोरोन, निकिल जैसी धातुओं के कण भी होते हैं, जो ड्रापलेट के साथ गैस व धूलकणों से मिल जाते हैं। इससे विषाक्त रसायन बनता है। अक्टूबर में सास के पुराने मरीजों की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। मार्च तक सास के मरीजों को मुश्किल दौर से गुजरना होगा। प्रदूषण से 16 लाख मौतें भारत में हुई हैं।

डा. अमित अग्रवाल, सास व छाती रोग विशेषज्ञ

रिपोर्ट में साफ है कि भारत में जन्म के एक माह के अंदर 1.16 लाख नवजातों की जान गई। वायु प्रदूषण बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए भी बेहद घातक है। पीएम 2.5 की मात्रा 180 माइक्रोग्राम से ज्यादा हो तो बच्चों को खेलने के लिए मैदान में न भेजें। वो तेज सास लेते हुए ज्यादा प्रदूषण खींचते हैं। प्रदूषण से प्री-मेच्योर बच्चे भी पैदा हो रहे हैं।

डा. राजीव तेवतिया, बाल रोग विशेषज्ञ

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