मेरठ के शहीद लेफ्टिनेंट आकाश के स्वजन को प्रदेश सरकार देगी पचास लाख रुपये

मेरठ में शनिवार को शहीद के पिता के मोबाइल पर जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी ने फोन कर कुछ जानकारियां दीं। उन्‍हें बताया कि प्रदेश सरकार 50 लाख रुपये शहीद के स्वजनों को देगी साथ ही एक सदस्य को सरकारी नौकरी का भी प्रयास है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 12:20 AM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 12:20 AM (IST)
मेरठ के शहीद लेफ्टिनेंट आकाश के स्वजन को प्रदेश सरकार देगी पचास लाख रुपये
परिवार के एक सदस्य को नौकरी का भी मिल रहा आश्वासन।

मेरठ, जागरण संवाददाता। मेरठ के शहीद लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी के स्वजन को प्रदेश सरकार 50 लाख रुपये देगी। साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी का भी आश्वासन दिया गया है। शनिवार को शहीद के पिता के मोबाइल पर जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी ने फोन कर मौखिक यह जानकारी दी है। मुजफ्फरनगर के अलावलपुर माजरा गांव निवासी केपी सिंह बलरामपुर स्थित चीनी मिल के मैनेजर पद से सेवानिवृत्त हैं।

खाई में गिरने से मौत

केपी सिंह अपनी पत्नी कमलेश, बेटी प्रियंका और बेटा आकाश चौधरी के साथ कंकरखेड़ा हाईवे की सिल्वर सिटी कालोनी में ए-24 मकान में रहने रहते हैं। आकाश सेना में लेफ्टिनेंट हो गए थे। उनकी पोस्‍टिंग असम के पोखराझार में थी। 17 जुलाई 2020 को पोखराझार में ट्रेनिंग के दौरान पहाड़ी से आकाश का पैर फिसल गया और गहरी खाई में गिरने से आकाश की मौत हो गई थी। 18 जुलाई को लेफ्टिनेंट का शव उनके घर सिल्वर सिटी कालोनी में सेना के अफसर लेकर पहुंचे थे। तब सेना ने आकाश को शहीद का दर्जा भी नहीं दिया था।

फोन पर दी गई जानकारी

पीडि़त स्वजन के प्रयास से चार अगस्त 2021 को सेना ने आकाश चौधरी को शहीद का दर्जा दिया, जिसकी जानकारी जिला सैनिक बोर्ड के अफसरों ने शहीद के स्वजन को दी थी। शहीद के नाम की मूलभूत सुविधाओं का ऐलान नहीं हुआ था। इसी कड़ी में शनिवार को शहीद के पिता केपी सिंह ने बताया कि जिला सैनिक बोर्ड के अफसर राजीव शुक्ला ने फोन कर जानकारी दी है कि प्रदेश सरकार 50 लाख रुपये शहीद के स्वजनों को देगी, साथ ही एक सदस्य को सरकारी नौकरी का भी प्रयास है। तीन दिनों से केपी सिंह लखनऊ में अपने स्वजन संग हैं।

इन मांगों पर भी हो एक नजर

शहीद के पिता केपी सिंह ने बताया कि उनकी मांग है कि मेरठ की एक सड़क का नाम शहीद आकाश के नाम से होना चाहिए, जिससे समाज में सेना के प्रति मान सम्मान और शहीद को श्रद्धांजलि दे सकें। साथ ही कैंट क्षेत्र में शहीद की प्रतिमा भी लगे, मगर अभी तक दोनों में से एक भी मांग पूरी नहीं हुई है।

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