विश्व अंगदान दिवस पर विशेष : बागपत की इन महिलाओं में है अपनों की जिंदगी बचाने का 'गुर्दा'

आज ऐसे लोगों को नमन करने का दिन है जिन्होंने दूसरों के प्राण बचाने के लिए अपने अंगों का दान किया। समर्पण का जज्बा दिखाने में बागपत की महिलाएं भी किसी से कम नहीं। किसी ने अपने बेटे तो किसी ने पति की जिंदगी बचाने की खातिर अंग दान किए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 07:00 AM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 07:00 AM (IST)
विश्व अंगदान दिवस पर विशेष : बागपत की इन महिलाओं में है अपनों की जिंदगी बचाने का 'गुर्दा'
बागपत में किसी ने बेटे, किसी ने पति को किडनी देकर बचाई जिंदगी।

सुरेंद्र कुमार, बागपत। Special on World Organ Donation Day आज विश्व अंगदान दिवस है, यानी ऐसे लोगों को नमन करने का दिन है, जिन्होंने दूसरों के प्राण बचाने के लिए अपने अंगों का दान किया। समर्पण का यह जज्बा दिखाने में बागपत की महिलाएं भी किसी से कम नहीं। किसी ने अपने बेटे, तो किसी ने पति की जिंदगी बचाने की खातिर अंग दान किए। नई जिंदगी पाकर बेटा अपनी मां को नमन करता है, तो पति इस महादान पर पत्नी के प्रति कृतज्ञ है। जिले में इस तरह अंगदान के 10 मामले हैं। अंगदान करने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं।

किडनी भी हो गई थी खराब

एसपीसी डिग्री कालेज के प्रवक्ता गांव ढिकौली निवासी डा. प्रदीप ढाका किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गए थे। उनकी किडनी भी खराब हो गई थी। बेटे की हालत देख मां चंद्रवती काफी दुखी रहती थीं। चिकित्सक के परामर्श के बाद उन्होंने 25 अगस्त 2011 को अपनी एक किडनी बेटे को दान कर दी, जिससे बेटे को नई जिंदगी मिल गई। बागपत शहर निवासी राजेंद्र चौहान की भी किडनी खराब हो गई थी। पति की रक्षा के लिए पत्नी निर्मला ने एक किडनी दान कर दी, जिससे पति की जान बच गई।

पिता भी बने भगवान

प्रदीप ढाका बताते हैं मैंने कभी भगवान तो नहीं देखा है, लेकिन माता-पिता के चरणों में ही चारों तीर्थ का सुख ले लिया है। पहले माता ने अपनी किडनी देकर मेरी जान बचाई। बाद में हालत बिगडऩे पर पिता रामवीर सिंह ढाका ने भी 25 अगस्त 2020 को अपनी एक किडनी देकर मुझे नई जिंदगी दी। मैं आज जो जीवन जी रहा हूं, वो भगवान समान मेरे माता-पिता की देन हैं।

जिला स्तर पर बनी समिति में करते है आवेदन

किडनी दान करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित है। समिति के अध्यक्ष डीएम और सचिव सीएमओ होते हैं। जो भी दान करना व लेना चाहता है, उसका पूरा रिकार्ड समिति के सामने प्रस्तुत करना होता है। शरीर की कई जांच के बाद समिति स्वीकृति देती है।

इनका कहना है

जिले में दस लोग ऐसे हैं, जिन्होंने किडनी देकर अपनों की जान बचाई। अभी कोई लंबित आवेदन नहीं है।

- डा. दिनेश कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी।

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