Special Column: लॉकडाउन में निभाया साथ अब अनलॉक में बेलगाम बिजली और सीवेज पर मौन हुक्मरान Meerut News
Special Column कोरोना महामारी के लॉकडाउन में भरपूर साथ निभाने वाली बिजली अब झटके दे रही है। जब अनलॉक में सब कुछ सामान्य हुआ तो बिजली असामान्य हो गई।
मेरठ, [दिलीप पटेल]। Special Column कोरोना महामारी के लॉकडाउन में भरपूर साथ निभाने वाली बिजली अब झटके दे रही है। जब अनलॉक में सब कुछ सामान्य हुआ तो बिजली असामान्य हो गई। जरा सी हवा में पोल धराशायी। बारिश की बूंदे पड़ी नहीं कि बिजली गुल। दिन-रात बिजली की आंख-मिचौली। हाल ऐसा कि न लोग समझ पा रहे हैं और न ऊर्जा निगम। अप्रैल, मई की गर्मी लॉकडाउन में अच्छे से गुजर गई, लेकिन अब न दिन कट रहा है और न रात। दरअसल, लॉकडाउन में औद्योगिक इकाईयां बंद थीं। व्यावसायिक प्रतिष्ठान व दुकानें भी नहीं खुलीं, इसलिए बिजली का जर्जर ढांचा सब कुछ बर्दाश्त करता रहा। इधर, अनलॉक होते ही मेंटीनेंस की पोल खुल गई। साथ ही वह योजनाएं भी कठघरे में आ गई हैं जिन पर करोड़ों रुपए खर्च कर बिजली सिस्टम को अत्याधुनिक बनाने का दावा किया गया है। शायद अफसरों ने इसीलिए चुप्पी साध ली है।
सीवेज पर मौन हुक्मरान
नालों में सीधे गिरते सीवेज पर हुक्मरान शांत हैं। काली नदी को प्रदूषित करने वाले तीन बड़े नालों के सीवेज को रोकना है। ओडियन नाला और आबूनाला-एक तो 220 एसटीपी से डेढ़-दो साल में जुड़ जाएंगे, लेकिन कसेरूखेड़ा स्थित आबूनाला-दो के सीवेज को रोकने के लिए फाइटो रेमेडिएशन तकनीक का प्लान शासन के पास स्वीकृति के लिए पड़ा है। स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार विभाग शांत बैठे हैं। इसका फायदा आबूनाला-दो के किनारे बसी प्राइवेट कालोनियों की सोसायटी व बिल्डर तेजी से उठा रहे हैं। लेआउट को धता बताते हुए सीवेज नाले में बहाया जा रहा है। नगर निगम, एमडीए की ओर निहार रहा है और एमडीए, नगर निगम की तरफ। इन विभागों की टालमटोल की आदतों पर लगाम कसने का काम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करता है, लेकिन इन दिनों नदी प्रदूषण पर चुप है। ये बात दीगर है कि काली की चिंता सभी को है।
हैंडओवर के बाद हैंग कालोनियां
गत फरवरी एमडीए से कई कालोनियां नगर निगम को हैंडओवर हुईं तो कालोनी के वाङ्क्षशदों के चेहरे यूं खिल गए थे, जैसे मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई हो। हालांकि कुछ ही दिन में उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। दरअसल, लोग यह मान रहे थे कि नगर निगम में कालोनी आने के बाद सफाई सुधर जाएगी। जलापूर्ति की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन हुआ उल्टा। एक तरफ कालोनी हैंडओवर करते ही एमडीए ने सारी व्यवस्थाओं से हाथ खींच लिया और दूसरी तरफ नगर निगम ने अपनी व्यवस्था नहीं बनाई। लिहाजा जो थोड़ी बहुत सुविधाएं लोगों को मिल रही थीं, वह अब मयस्सर नहीं हैं। श्रद्धापुरी फेज दो, डिफेंस एंक्लेव समेत आठ कालोनियों के लोग अब मझधार में फंस गए हैं। लोग समस्या लेकर नगर निगम पहुंचते हैं तो अधिकारी यही कहते हैं कि एमडीए पैसा दे तो सुविधाएं भी दें, लेकिन यह बात पहले सोचनी चाहिए थी।
नाले-बिजली की किस्मत
दिल्ली रोड पर रैपिड रेल कॉरीडोर का काम चल रहा है। इस काम से नाले और बिजली की किस्मत चमक गई है। एनसीआरटीसी दिल्ली रोड के खुले नाले को भूमिगत नाले में तब्दील करेगा तो विद्युत पोल पर दौड़ती 33 केवी बिजली लाइन को अंडरग्राउंड करेगा। दावा है कि इस काम में पीवीवीएनएल और नगर निगम को कोई पैसा खर्च नहीं करना है। दोनों विभागों के लिए यह बिन मांगी मुराद जैसा है। दिल्ली रोड पर आए दिन 33 केवी की बिजली लाइन फॉल्ट हो जाती है। उसके रखरखाव पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इसी लाइन के अंडरग्राउंड होने पर न तो फॉल्ट अधिक होंगे, और न ही मेंटीनेंस बार-बार करना पड़ेगा। इसी तरह खुले नाले की दहशत भी समाप्त हो जाएगी। यह अच्छा अवसर है, दोनों विभाग एनसीआरटीसी से मिलकर दिल्ली रोड पर नियोजित विकास का ढांचा खड़ा कर सकते हैं।