Migrant Workers: इन्हें कैसे मिलेगा काम, चले प्रोजेक्‍ट तो दौड़ेगी अर्थव्‍यवस्‍था Meerut News

प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि जो प्रवासी कामगार वापस उप्र आए हैं उन्हें यहीं पर काम मिल जाएगा। उनके कामकाज की कुशलता के हिसाब से सूची तैयार हुई।

By Prem BhattEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 01:30 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 01:30 PM (IST)
Migrant Workers: इन्हें कैसे मिलेगा काम, चले प्रोजेक्‍ट तो दौड़ेगी अर्थव्‍यवस्‍था Meerut News
Migrant Workers: इन्हें कैसे मिलेगा काम, चले प्रोजेक्‍ट तो दौड़ेगी अर्थव्‍यवस्‍था Meerut News

मेरठ, [प्रदीप ि‍द्ववेदी]। Special Column प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि जो प्रवासी कामगार वापस उप्र आए हैं उन्हें यहीं पर काम मिल जाएगा। उनके कामकाज की कुशलता के हिसाब से सूची तैयार हुई। अब इस सूची को उद्योगों को सौंपा जा रहा है। मेरठ में भी उद्योगों में इसकी प्रक्रिया जारी है। मतलब, जैसे-तैसे इन लोगों को भी नौकरी पर रखना है। उद्योग में पहले से काम कर रहे कामगार अगर वापस आ जाते हैं तब क्या होगा, इस बारे में नहीं सोचा गया है। प्रशासन ने भी आदेश का पालन किया और सूची उद्योगों के पाले में खिसका दी है। पर इसी प्रशासन ने शहर के उद्योगों को बंद कर रखा है और जिनको अनुमति दे रखी है उनके लिए भी शर्तें बना रखी हैं। अब इन प्रवासियों को कैसे काम मिलेगा, इसकी चिंता शायद प्रशासन ने नहीं की। इसके लिए माहौल बनाने की जरूरत है ताकि इन्हें काम मिले।

चले प्रोजेक्‍ट दौड़ेगी अर्थव्‍यवस्‍था

कहीं रिसेशन तो कहीं मांग व आपूर्ति की चेन बिगड़ जाने का माहौल। कहीं लटकते ताले तो कहीं असमंजस। लंबे समय चले लॉकडाउन ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया। कोरोना का डर अभी भी पीछा नहीं छोड़ रहा है। मेरठ में तो अलग ही माहौल है। यहां तो यही संदेश जा रहा है कि पूरा देश खुल जाए पर मेरठ नहीं खुलने वाला। उद्यमी, व्यापारी हों या फिर अन्य पेशा वाले, हर तरफ आशंका। मेरठ की अर्थव्यवस्था दूसरे शहरों की ओर स्थानांतरित हो जाने का अंदेशा। पर इन सबके बीच यह सकारात्मक है कि यहां पर रुके हुए बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो गए हैं। अभी मेरठ की अर्थव्यवस्था भले ही नुकसान में रहे पर कुछ साल बाद मेरठ के लिए यह अवसर लाएंगे। वर्तमान में इन प्रोजेक्ट से मेरठ के जो लोग जुड़े हैं, वे दूसरों को रोजगार देकर सक्षम भी बना रहे हैं।

पर्यावरण सुधारने का मौका

सभी विभागों को पौधारोपण का लक्ष्य दे दिया गया है। लॉकडाउन के बीच लोगों ने यह भी देखा है कि कैसे रंगत बदल गई। प्रदूषण से कराहते मेरठ ने इसे नजदीक से देखा। अब तक बातें बड़ी-बड़ी होती थीं और योजनाएं सिर्फ जुबानी थीं लेकिन अब धरातल पर करने की बारी है। प्रकृति का जो रूप सबने देखा, चाहता तो हर कोई वही है मगर जब सब कुछ सामान्य हो जाएगा तब इसकी उम्मीद कम ही बचेगी। प्रदूषण लौटेगा और नदियां फिर गंदे-जहरीले पानी से लबालब होंगी। इन सबके बीच हुक्मरानों के लिए यह अच्छा मौका है कुछ करने का, अपने कर्तव्यों को याद करने का। पौधारोपण ऐसी जगह करें जिसका फायदा सीधे तौर पर घनी आबादी और शहरी आबादी को मिले। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व उद्योगों के प्लांट के बारे में अब से ईमानदार होने की शपथ विभागों को लेनी चाहिए। पर्यावरण के कानून का पालन कराएं।

ढाई चाल का कमाल

कोरोना का संक्रमण मेरठ में किस कदर प्रशासन की नाक में दम किए हुए है, यह हर किसी को पता है। अगर एक दो दिन कुछ राहत की खबर आती है तो अन्य किसी दिन कोरोना बम फूट जाता है इसलिए प्रशासन अपने तरह से निर्णय ले रहा है। प्रशासन किसी भी स्थिति में लॉकडाउन खोल पाने को मानसिक रूप से तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि उद्योग, बाजार आदि खोलने का जबरदस्त दबाव है। ऐसे में प्रशासन ने मानसिक रूप से गफलत में रखने के लिए ढाई चाल चली। पहले उद्योगों को खोलने का माहौल बनाया। लंबे समय तक दौड़ाया, फिर कुछ को अनुमति दे दी। बाद में बाकी आवेदनों को लटका दिया। बाजार खोलने का दबाव बना तो सफाई की अनुमति दी। फिर माहौल गरमाया तो डीएम ने कोरा आश्वासन दिया और चुपके से अगली चाल मंडलायुक्त की तरफ कर दी। व्यापारी फिर हार गए।

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