मां के संघर्ष से दिव्य हुआ प्रकाश, चुनौतियों से लड़कर बेटे को बनाया अफसर, जानें संघर्ष की पूरी कहानी
नारी शक्ति के सामने बड़ी से बड़ी चुनौतियां भी छोटी पड़ जाती हैं। एक मां दुनिया से लड़कर अपने बच्चों को प्रगति की राह पर अग्रसर करती है। ऐसा ही एक उदाहरण धामपुर के गांव नरावली की आदेश देवी का है।
बिजनौर, [वीरेन्द्र राणा]। नारी शक्ति के सामने बड़ी से बड़ी चुनौतियां भी छोटी पड़ जाती हैं। एक मां दुनिया से लड़कर अपने बच्चों को प्रगति की राह पर अग्रसर करती है। ऐसा ही एक उदाहरण धामपुर के गांव नरावली की आदेश देवी का है। दस साल पहले पति की मृत्यु के बाद अपने बेटे को शिक्षा के मार्ग पर अग्रसर किया। इसके लिए परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने अपनी खेती की जमीन बेच दी। मां का संघर्ष रंग लाया। उनका बेटा असिस्टेंट कमिश्नर है।
यह है संघर्ष की कहानी
गांव नरावली निवासी आदेश देवी के पति सत्यवीर सिंह सिसौदिया का दस साल पहले बीमारी के चलते देहांत हो गया था। सत्यवीर सिंह के पास मात्र ढाई बीघे जमीन थी। उनकी मौत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी आदेश देवी पर आ गई। उनके तीनों बच्चों दो बड़ी बेटी सुगंधा, सुहानी व एक बेटे दिव्य प्रकाश सिसौदिया की पढ़ाई-लिखाई का भार भी उनके कंधों पर आ गया। इसके बावजूद आदेश देवी ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व परवरिश के लिए संघर्ष शुरूकर दिया। उन्होंने गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में दो साल तक मिड डे मील बनाकर परिवार का खर्च चलाया। उनके बेटे दिव्य प्रकाश ने यूपी पीसीएस में सफल होकर असिस्टेंट कमिश्नर का पद प्राप्त करते हुए अपनी मां के सपने को साकार कर दिया है। दिव्य प्रकाश सिसौदिया ने भी अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां, बहनों और परम पिता परमेश्वर को दिया है। आदेश ने अपनी दोनों पुत्रियों को भी एमए तक पढ़ाया।