स्मृति शेष : मुजफ्फरनगर में सांसद के विरोध में हुए आंदोलन में ओमप्रकाश शर्मा ने फूंकी थी जान
मुजफ्फरनगर जनपद में हुए शिक्षक आंदोलनों में भी स्वर्गीय ओमप्रकाश शर्मा की सक्रिय भूमिका रही थी। आंदोलन के दौरान महामना इंटर कॉलेज मुजफ्फरनगर में माध्यमिक शिक्षकों की एक बड़ी सभा हुई थी। इस सभा को उन्होंने ने भी संबोधित किया था।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा मुजफ्फरनगर जनपद में हुए शिक्षक आंदोलनों में समय-समय पर हिस्सेदारी करते रहे थे, लेकिन 2005 में तत्कालीन सांसद मुनव्वर हसन के विरुद्ध बजे आंदोलन के बिगुल को उन्होंने अपना सुर देकर जान फूंक दी थी। आर्य समाज रोड स्थित डीएवी इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी पद पर कुछ नियुक्तियां निकली हुई थी।
हड़ताल की घोषणा कर दी थी
सत्ताधारी दल से जुड़े होने व सांसद होने के कारण चौधरी मुनव्वर हसन ने सात अभ्यर्थियों को नियुक्त करने के लिए एक के बाद एक शिफारशी पत्र लिखा था। आरोप था कि उन्होंने नियुक्ति अधिकारी एवं डीएवी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य शिव कुमार यादव पर टेलीफोन कर नियुक्ति में उनके लोगों को प्राथमिकता देने का दबाव भी बनाया था। जिसको लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन जिला अध्यक्ष एवं डीएवी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य शिव कुमार यादव ने नाराजगी व्यक्त करते हुए हड़ताल की घोषणा कर दी थी।
आंदोलन की बागडोर संभाली
माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक एकजुट हो गए थे। जनपद के सभी माध्यमिक कॉलेज बंद कर दिए गए थे। लेकिन सत्ता के दबाव के कारण आंदोलन के किसी भी समय टूटने का खतरा था। उसी क्षण माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं तत्कालीन एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा ने मुजफ्फरनगर पहुंचकर आंदोलन की बागडोर संभाली थी। आंदोलन के दौरान महामना इंटर कॉलेज मुजफ्फरनगर में माध्यमिक शिक्षकों की एक बड़ी सभा हुई थी। जिसमें स्वर्गीय ओम प्रकाश शर्मा ने ओजस्वी उद्बोधन दिया था।
ताकत का अहसास कराया
साथ ही किसी भी सूरत में सत्ताधारी दल व सरकार के दबाव में आने से इनकार करते हुए संघर्ष का बिगुल फूंक दिया था। महामना मालवीय इंटर कॉलेज में हुई सभा व संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा का दृढ़ रुख देखकर ही तत्कालीन सपा सरकार ने कदम पीछे खींच लिए थे और चौधरी मुनव्वर हसन को समझौते के लिए तैयार होना पड़ा था। मौजूदा सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने दोनों पक्ष के बीच समझौता कराया था। सात दिन तक चले आंदोलन का पटाक्षेप तो हो गया था, लेकिन सत्ताधारी दल को स्वर्गीय ओम प्रकाश शर्मा ने अपनी ताकत का अहसास करा दिया था।