Hindi Diwas 2021: शामली की बुजुर्ग महिला दुबई में पहुंचकर हिंदी का कर रही प्रचार प्रसार, दर्जनों लोगों को पढ़ना व बोलना सीखा चुकी वंदना
World Hindi Day 2021 शामली निवासी वंदना शर्मा को हिंदी भाषा से अगाध प्रेम है। मातृभाषा को दूर-दूर तक फैलाने के लिए वंदना निरंतर कार्य करती हैं। वैसे तो वंदना अंग्रेजी भाषा भी बेहतर तरीके से जानती हैं लेकिन जो आत्ममीयता उन्हें हिंदी में रहती है।
शामली, [आकाश शर्मा]। एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। हिंदी वैज्ञानिक भाषा है और असल में हिंदी ही हमारे जीवन का सार है। यहीं वजह है कि शामली के कमला कालोनी निवासी वंदना शिक्षिका हैं। बेटा-बेटी 20 साल से दुबई में हैं तो उन्हें भी जाना होता है। वंदना वहां पहुंचकर अपनी मातृभाषा को सीखाने का काम करती हैं।
हिंदी से है अगाध प्रेम
शहर की कमला कालोनी निवासी वंदना शर्मा को हिंदी भाषा से अगाध प्रेम है। मातृभाषा को दूर-दूर तक फैलाने के लिए वंदना निरंतर कार्य करती हैं। वैसे तो वंदना अंग्रेजी भाषा भी बेहतर तरीके से जानती हैं, लेकिन जो आत्ममीयता उन्हें हिंदी में रहती है। वह अंग्रजी या अन्य भाषाओं में महसूस नहीं करती। यहीं वजह है कि देश की भाषा को खुद पढ़ना बोलना पंसद करती हैं तो वहीं साहित्य में रूचि लेकर लेखन का कार्य भी करती रहती हैं। देश में वे हिंदी भाषा को बारीकी से सिखाने का कार्य करती है, लेकिन यह कार्य यहीं तक सीमित नहीं रहा है। इसके लिए वे विदेशी धरती पर भी अपनी भाषा व देश का लोहा मनवा रही हैं। दरअसल, उनके बेटा व बहू दुबई में रहते है। उनसे मिलने वंदना हर साल में दो से तीन माह तक वहां पहुंचती है।
जज्बा युवाओं से कम नहीं
दुबई जाकर बेटा व बहू से मिलती है तो वहीं समय निकालकर दुबई के लोगों को हिंदी भाषा के लिए प्रेरित करती हैं। वंदना उम्रदराज हो चुकी है, लेकिन उनका हिंदी के लिए जज्बा युवाओं से कम नहीं है। वंदना दुबई में कखग का ककहरा सिखाती है। दुबई के लोगों में हिंदी की वैज्ञानिकता का प्रमाण तथ्यों के साथ देती हैं। यहीं वजह है कि उनसे प्रभावित होकर 40 लोगों को अच्छी तरह से हिंदी पढ़ना व बोलना सिखा चुकी हैं। आनलाइन रहकर भी वे हिंदी भाषा के लिए कार्य करती है। वहीं गोष्ठियों व हिंदी कार्यक्रमों में हिंदी के विकास के लिए अनेकों योजनाएं बनाती हैं। वंदना कहती हैं कि देश की इस भाषा को बोलकर व सुनकर अच्छा लगता है। देश के लिए इस उम्र में यहीं कर सकते है। संस्कृति को दूर दूर तक पहुंचाना ही मकसद है।