मानवता शर्मसार : यहां चार कंधों की कीमत आठ हजार, एंबुलेंस में शव रखने- उतारने व चिता सजाने तक के दाम तय
किसको इल्म था कि अंतिम यात्र में भी चार कंधों के लिए गैरों का मुंह देखना पड़ेगा। निजी लाभ के लिए दवा आक्सीजन जैसी जरूरी चीजों की कालाबाजारी तो चल ही रही थी अब शव को चार कंधे देने के लिए भी सौदेबाजी शुरू हो गई है।
[नवनीत शर्मा] मेरठ। कोरोना..। एक साथ कई पहलुओं का काल। कहीं इसके मानवीय पक्ष मन को सुकून देते हैं तो कहीं अमानवीय कृत्य दिल को झकझोर रहे हैं। किसको इल्म था कि अंतिम यात्र में भी चार कंधों के लिए गैरों का मुंह देखना पड़ेगा। निजी लाभ के लिए दवा, आक्सीजन जैसी जरूरी चीजों की कालाबाजारी तो चल ही रही थी, अब शव को चार कंधे देने के लिए भी सौदेबाजी शुरू हो गई है। चूंकि, मामला सुरक्षा का है, लिहाजा मजबूर परिवार वाले दिल पर पत्थर रखकर इस सौदेबाजी का हिस्सा बन रहे हैं।
कोरोना संक्रमण से अपनों को खोने वाले लोगों के सामने परिवार के अन्य लोगों को भी बचाने की बड़ी चुनौती रहती है। ऐसे में संक्रमण से मरने वाले अधिकांश लोगों को घर पर न लाकर सीधे श्मशान घाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। स्वजन संक्रमण से डर से खुद भी शव से दूरी बनाकर रखते हैं। कुछ लोग उनकी इसी विवशता का फायदा उठा रहे हैं।
गुरुवार को मेरठ निवासी एक व्यक्ति की मेडिकल कालेज में कोरोना से मौत हो गई। स्वजन दूर रहे। उन्होंने दो युवकों की मदद से शव को एंबुलेंस में रखवाया। इसी दौरान युवकों ने शव को एंबुलेंस से उतारकर कंधा देने और मोक्षधाम में चिता तैयार की बात स्वजन से कही। इस पर परिवार वाले राजी हो गए। इसके बाद युवकों ने खुद की जान को संक्रमण का खतरा बताते हुए रुपयों की सौदेबाजी शुरू की। इसके एवज में परिवार वाले आठ हजार रुपये देने के लिए तैयार हो गए। सौदा तय होने पर युवक एंबुलेंस में बैठकर शव के साथ चले गए।
हम दूर कर रहे परेशानी: शव को कंधा देने के बदले रुपये लेने वाले एक युवक से बातचीत की गई तो उसने बताया कि वह तो लोगों को एक संक्रमण से बचाकर उनकी परेशानी दूर कर रहे हैं। संक्रमित शव के अंतिम संस्कार के दौरान हम स्वजन को दूर ही रखते हैं। खुद संक्रमित न हो जाएं, इसके लिए सतर्कता बरतते हैं।