जबरन खाली करवाकर 1030 बेड दिए गए गंभीर मरीजों को

हमारे अस्पताल में आइसीयू बेड खाली नहीं आक्सीजन नहीं अपना मरीज कहीं और ले जाएं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 03:45 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 03:45 AM (IST)
जबरन खाली करवाकर 1030 बेड दिए गए गंभीर मरीजों को
जबरन खाली करवाकर 1030 बेड दिए गए गंभीर मरीजों को

मेरठ,जेएनएन। हमारे अस्पताल में आइसीयू बेड खाली नहीं, आक्सीजन नहीं, अपना मरीज कहीं और ले जाएं। यह जुमला आजकल अधिसंख्य कोविड अस्पतालों की जुबान पर है। ऐसे अस्पतालों द्वारा गंभीर मरीजों से पल्ला छुड़ाया जा रहा है। हालाकि जाच-पड़ताल में हकीकत सामने आ गई। कमिश्नर के निर्देश पर मंडल के कोविड अस्पतालों की आकस्मिक जाच की गई, जिसमें एक हजार से ज्यादा बेडों पर पैनल के और पूरी तरह ठीक हो चुके यानी 95 फीसद से ज्यादा आक्सीजन सेचुरेशन वाले मरीज भर्ती मिले। जाच टीम ने एक हजार से ज्यादा बेडों को खाली कराया है।

मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह के निर्देश पर मंडल के निजी कोविड अस्पतालों की जाच की गई। शिकायत मिली थी कि निजी अस्पताल आक्सीजनयुक्त व आइसीयू बेड फुल बताकर पैनल के मरीज भर्ती कर रहे हैं, जिनमें कोई रिस्क नहीं है। बीमा कंपनियों से अस्पतालों को पूरा खर्च भी मिलता है। नौ मई तक मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़ व बुलंदशहर के 48 अस्पतालों की जाच की गई, जिनमें 27 बेडों पर ऐसे मरीज भर्ती थे, जिन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। उनसे तत्काल बेड खाली कराए गए। नई दिल्ली के मरीज बड़ी संख्या में मेरठ में भर्ती हो गए हैं, जिससे स्थानीय मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा। प्रशासन की ओर से अस्पतालों की पड़ताल के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन मेरठ का रहा, जहा 23 अप्रैल से अब तक सिर्फ 15 अस्पतालों की जाच की गई। यहा 42 मरीजों को अस्पताल से जबरन डिस्चार्ज किया गया। इन अस्पतालों में कई मानकों का उल्लंघन मिला, जिसके लिए अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है।

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जिला निजी अस्पताल बेवजह भर्ती मरीज हटाए

-मेरठ 15 42

-गाजियाबाद 83 197

-गौतमबुद्धनगर 258 525

-बुलंदशहर 96 171

-हापुड़ 84 95

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536 1030

............................................... इनका कहना है..

मंडल में 12 हजार से ज्यादा कोविड बेड हैं। इनमें 70 फीसद पर मरीज हैं। मंडलायुक्त के निर्देश पर 23 अप्रैल से अब तक अस्पतालों में जाच में एक हजार से ज्यादा मरीज बेवजह भर्ती मिले, जिन्हें तत्काल डिस्चार्ज कर उनके स्थान पर गंभीर मरीजों को बेड दिलाया गया। निजी अस्पताल गंभीर एवं आक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को हर हाल में भर्ती करें।

- डा. राजकुमार, अपर निदेशक, स्वास्थ्य

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