सीसीएसयू के निजी कालेजों में सीटें खाली, पोर्टल खोलने की मांग

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। जबकि विश्वविद्यालय से जुड़े स्ववित्त पोषित कालेजों में आधे से अधिक सीटें रिक्त पड़ी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 10:26 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 10:26 AM (IST)
सीसीएसयू के निजी कालेजों में सीटें खाली, पोर्टल खोलने की मांग
सीसीएसयू के निजी कालेजों में सीटें खाली, पोर्टल खोलने की मांग

मेरठ, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। जबकि विश्वविद्यालय से जुड़े स्ववित्त पोषित कालेजों में आधे से अधिक सीटें रिक्त पड़ी हैं। मंगलवार को सेल्फ फाइनेंस डिग्री कालेज वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कुलपति से लेकर राज्यपाल और यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान दिलाया गया है। जिसमें दोबारा से पोर्टल खोलने की मांग की गई है।

एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि पिछले कुछ साल से प्रवेश में गिरावट आई है। उन्होंने आनलाइन प्रवेश प्रकिया की समीक्षा करने की भी मांग की है। कहा गया है कि जिस कंपनी के माध्यम से आनलाइन प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। वह जटिल और उलझाने वाली है। साथ ही कई बार सर्वर डाउन होने की वजह से छात्र फार्म नहीं भर पाए। पिछले साल के मुकाबले इस बार पोर्टल भी कम समय के लिए खुला। इसकी वजह से छात्र- छात्राएं प्रवेश नहीं ले पाए। एक तरफ जहां सीट रिक्त है, वहीं हजारों छात्र प्रवेश से वंचित हैं। जिसकी वजह से उन्हें निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना पड़ है। उन्होंने छात्रहित और कालेज हित में प्रवेश का पोर्टल खोलने की मांग की है।

अपने हाथ में रखें जीवन की बागडोर

मेरठ: खुशी को बाहर तलाशने की जगह अपने अंदर तलाशने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हम खुद को प्रेम करें। कनोहर लाल ग‌र्ल्स डिग्री कालेज में यह बात मेरठ मेडिकल कालेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रो. सीमा जैन ने कही। उन्होंने बताया कि छात्राओं को अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में रखनी चाहिए, लेकिन अपने परिवार, शिक्षकों और शुभचितकों से मार्गदर्शन लेना चाहिए। उन्होंने गूगल फार्म के माध्यम सर्वे भी कराया। जिसमें 145 छात्राओं ने प्रतिभाग किया। छात्राओं के जिज्ञासा को भी उन्होंने शांत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डा. अलका चौधरी ने किया। संयोजन डा. ज्योत्सना, डा. पूनम सिंह, डा. शुभा मालवीय ने किया।

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