आरोपित पुलिसकर्मियों को साथ लेकर बंदी की तलाश

मेडिकल कालेज से फरार बंदी का तीन दिन बाद भी सुराग नहीं लग सका है। लापरवाही बरतने के आरोपित तीनों पुलिसकर्मियों को साथ लेकर उसकी तलाश की जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 03:55 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 03:55 AM (IST)
आरोपित पुलिसकर्मियों को साथ लेकर बंदी की तलाश
आरोपित पुलिसकर्मियों को साथ लेकर बंदी की तलाश

मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कालेज से फरार बंदी का तीन दिन बाद भी सुराग नहीं लग सका है। लापरवाही बरतने के आरोपित तीनों पुलिसकर्मियों को साथ लेकर उसकी तलाश की जा रही है। नियमानुसार इनको कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए था। वहीं, 48 घंटे बाद भी पुलिस के पास आरोपित का फोटो नहीं आ पाया है। अमरोहा के थाना कोतवाली क्षेत्र के घेर पठैया निवासी अरशद को गैंगस्टर एक्ट के मामले में अमरोहा पुलिस ने जेल भेजा था। 12 जनवरी को उसे पथरी के आपरेशन के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन आपरेशन हो गया था। मेडिकल कालेज में हेड कांस्टेबल बाबू खां, कांस्टेबल आशु और राहुल की ड्यूटी लगी हुई थी। गुरुवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया था। दोपहर के समय वह बहाना कर शौचालय में गया और फरार हो गया। तीनों पुलिसकर्मियों के साथ ही अरशद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई थी। थाना प्रभारी प्रशांत गौतम ने बताया कि तीनों सिपाहियों की मदद से अरशद को तलाश किया जा रहा है। उसकी लोकेशन दिल्ली और गाजियाबाद में मिल रही है। जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा। तीनों सिपाहियों की गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई है।

लोन के नाम पर खाते खोलकर ठगी करने वाले पकड़े

लोन के नाम पर बैंक खाते खोलकर उनमें पैसा डलवाने वाले तीन आरोपितों को मेरठ जोन की साइबर सेल ने पिलखुवा से गिरफ्तार किया है। तीनों पर पिलखुवा थाने में मुकदमा दर्ज है। हापुड़ के पिलखुवा कस्बे के मोहल्ला छिद्दापुरी निवासी रवि को जनसेवा केंद्र संचालक अíचत और निकुंज ने लोन दिलाने का झांसा दिया। उसका बैंक में खाता भी खुलवा दिया था। काफी समय तक जब लोन नहीं आया तो उसने बैंक जाकर पता किया। अधिकारियों ने बताया कि खाते में करीब 13 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ है। रवि ने शिकायत एडीजी राजीव सभरवाल से की। उन्होंने जांच जोनल साइबर सेल को सौंप दी। शनिवार देर रात साइबर सेल ने अíचत जैन, निकुंज जैन और जगदीश को गिरफ्तार कर पिलखुवा पुलिस को सौंप दिया। दोनों भाई लोगों के दस्तावेज लेकर लोन दिलाने का झांसा देकर प्राइवेट बैंक में खाते खोलते थे। उनका संपर्क दूसरे ठग गिरोह से था, जिसे वह खाते बेच देते थे। दूसरा गिरोह लोगों को नौकरी के नाम पर ठगकर पैसे इन खातों में डलवाता था।

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