वैज्ञानिक मनोवृत्ति ही नवीनीकरण का आधार है
आज के संघणनात्मक युग में बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर यदि हम प्रयोगात्मक ज्ञान की ओर आकर्षित करें तो बच्चे अधिक तीव्रता से किसी को भी विषय को समझ सकेंगे। इसके लिए कई तरीके हो सकते हैं।
मेरठ, जेएनएन। आज के संघणनात्मक युग में बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर यदि हम प्रयोगात्मक ज्ञान की ओर आकर्षित करें तो बच्चे अधिक तीव्रता से किसी को भी विषय को समझ सकेंगे। इसके लिए कई तरीके हो सकते हैं। जैसे खेल के माध्यम से, प्रश्नोत्तर, नाटकीय अभिनय, पोडकास्ट और संगीत आदि कुछ ऐसे तरीके हैं, जिससे वह रुचिकर तरीके से सीख सकते हैं। बच्चे विज्ञान को नवीनीकरण की ²ष्टि से नहीं देख पा रहे हैं। जिससे वह विज्ञान को समझने की जगह कई बार इतिहास की तरह से पढ़ने लगते हैं। इसके लिए हमें प्राथमिक स्तर से पहल करनी होगी। क्योंकि मनुष्य की प्रकृति व स्वभाव उसकी पसंद , आदतों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यही वातावरण उसके निर्णयों पर भी असर छोड़ता है। इसमें एक सत्य और भी है। जो इन सभी पहलुओं से अधिक गहरा व प्रभावशाली है। जिसे वैज्ञानिक मनोवृत्ति कह सकते हैं।
विज्ञान का महत्व बढ़ाना होगा
जीवन में विज्ञान की महत्ता को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे। इसके लिए बच्चों में प्रश्नात्मक शैली को बढ़ावा देना होगा। उन्हें अपने प्रश्नों के हल स्वयं खोजने के लिए प्रेरित करना होगा। विज्ञान की संकल्पना को समझाने के लिए स्वयं की जाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा। इस ओर स्कूल में पहल की गई है। इसके लिए वेस्ट वाटर मैनेजमेंट समझाने के लिए कई तरह के पौधों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे बच्चा हर पौधे की पोषकता को समझ सकें। त्वचा पर रासायनिक उत्पादों के स्थान पर स्वास्थ्यवर्धक और जैविक उत्पादों को बनाकर उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। इससे बच्चे विज्ञान की ओर उत्सुकता से आगे बढ़ रहे हैं। विज्ञान के रहस्य को जाने बच्चे
विज्ञान ने आज इतना विकास कर लिया है कि हमारे जीवन का हर पहलू को हम वैज्ञानिक तथ्यों की कसौटी पर आजमाने हैं। इसी प्रवृत्ति को बच्चों में उत्पन्न कर हम उन्हें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ऐसे ही ब्रह्मांड में कई रहस्य हैं, जिसे जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है। बच्चों को इससे भी जोड़ा जा सकता है। बच्चों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अगस्त में आल इंडिया पीपल्स साइंस नेटवर्क की ओर से राष्ट्रीय वैज्ञानिक मनोवृत्ति दिवस मनाने की घोषणा की, जिससे विज्ञान का समर्थन किया जा सके। इसके अलावा इंस्पायर्ड मानक अवार्ड, रमन अवार्ड, एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड भी विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। जिससे बच्चे समस्याओं को देखकर उसके समाधान के लिए वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ा सकें। विकास का आधार है विज्ञान
मनुष्य की वैज्ञानिक प्रवृत्ति ही उसके विकास का आधार बनती है। इसलिए समाज को भी विज्ञान को समर्थन देना होगा। इसरो की ओर से स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिग, गणित, अंतरिक्ष शिक्षा जैसे विषयों पर प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है। यही नहीं इसरो ने सौ अटल टिकरिग लैब गोद लेकर छठी से 12वीं तक के तीस लाख से अधिक छात्रों को जोड़ा है ।इस पहल से निश्चित रूप से स्कूली बच्चों को परंपरागत शिक्षण से आगे बढ़कर प्रयोगात्मक शिक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
डा. अनुपमा सक्सेना, प्रिसिपल, गार्गी गर्ल्स स्कूल